मध्यप्रदेश: रीवा के छात्र की आर्मेनिया में हत्या,हत्या के संदेही को आर्मेनिया पुलिस ने किया गिरफ्तार। जाने पूरी खबर सबसे पहले Rewa Times पर
डेड बॉडी इंडिया लाने की मांग:रीवा से आर्मेनिया MBBS की पढ़ाई करने गए युवक की मौत, सांसद-विधायक ने केंद्र व राज्य सरकार को लिखा पत्र
त्योंथर जनपद के सोहर्वा गांव का रहने वाला है मृतक
आर्मेनिया शहर स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई करने गए रीवा जिले के एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। सूत्रों की मानें तो मृतक छात्र त्योंथर जनपद के गढ़ी सोहर्वा गांव का रहने वाला है। परिजनों ने केन्द्र व राज्य सरकार से मदद मांगी है। सोशल मीडिया के माध्यम से डेड बॉडी को इंडिया वापस लाने की अपील की है।
सोहर्वा के सचिव सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि कैलाश नारायण द्विवेदी का पुत्र आशुतोष द्विवेदी 25 वर्ष कुछ वर्ष पहले आर्मेनिया पढ़ाई करने गया था। उसके मौत की सूचना 29 अगस्त की शाम परिजनों को मिली है। चर्चा है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने निधन की जानकारी दी है। हालांकि छात्र के निधन की जानकारी जिला प्रशासन को नहीं है।
दो दिन पहले मौत
मृतक आशुतोष द्विवेदी के भाई ने बताया कि मेरा छोटा भाई आर्मेनिया में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। जिसकी दो दिन पहले मौत हो गई है। अभी आर्मेनिया में ही डेड बॉडी सुरक्षित है। लाश इंडिया लाने के लिए केन्द्र सरकार से मदद मांगी है।
गरीबी से जूझ रहा परिवार
मृतक के परिजनों ने दावा किया कि परिवार की हालात माली है। हम अपने दम पर लाश भारत नहीं ला सकते है। ऐसे में राज्य सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से मदद की गुजार लगाई है। कहा है कि शिवराज जी मोदी से बात कर विदेश मंत्रालय के माध्यम से मदद करें।
सांसद ने विदेश मंत्री को लिखा पत्र
रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने 29 अगस्त को विदेश मंत्री एस जयशंकर के नाम पत्र लिखा है। सांसद ने कहा कि आशुतोष द्विवेदी पुत्र कैलाश नारायण द्विवेदी निवासी सोहर्वा का सेंट तेरेजा विश्वविद्यालय येरेवन आर्मेनिया में एमबीबीएस चौथे वर्ष का छात्र है। आशुतोष के मौत की जानकारी 28 अगस्त को दूरभाष के माध्यम से परिजनों को मिली है। ऐसे में पार्थिव शरीर आर्मेनिया से भारत लाया जाए।
त्योंथर विधायक ने मांगी सीएम शिवराज से मदद
आशुतोष के पार्थिव शरीर को वतन वापस लाने के लिए त्योंथर विधायक श्यामलाल द्विवेदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। सीएम शिवराज सिंह सिंह से मांग की है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र का युवक है। ऐसे में पीड़ित परिवार की मदद की जाए।
आर्मेनिया के येरेवन शहर में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए एक छात्र की 28 अगस्त की रात्रि को हत्या कर दी गई
मृतक छात्र त्योंथर विधानसभा के गढ़ी सोहरवा गांव का रहने वाला है। सोहरवा के सचिव सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि कैलाश नारायण द्विवेदी का पुत्र आशुतोष द्विवेदी (आशु)27 वर्ष , आर्मेनिया पढ़ाई करने गया था। जहां से 29 अगस्त की शाम उसके मौत की खबर परिजनों को मिली है।
घटना का विवरण–
आर्मेनिया के फोटो जर्नलिस्ट शमस्यान की रिपोर्ट के मुताबिक 28 अगस्त को येरेवन में एक हत्या हुई थी। लगभग 09:00 बजे के आसपास, येरेवन रेजिमेंट की पहली बटालियन की दूसरी कंपनी की पेट्रोलिंग पार्टी ड्यूटी पर थी , तभी एक नागरिक ने उनसे संपर्क किया और उन्हें सूचित किया कि
डेविट बेक स्ट्रीट पर एक दुकान है जहां खुले क्षेत्र में एक सोफे पर एक शव मिला है। सूचना के बाद आरए पुलिस की गश्ती सेवा के प्रमुख ‘अर्तुर उमरशटियन’, गश्ती सेवा के येरेवन रेजिमेंट के ‘कमांडर एंड्रानिक इसाखानियन’ और उसी रेजिमेंट की पहली बटालियन के ‘कमांडर अराम ददोयान’ घटनास्थल पर पहुंचे। जहां मौके पर पुलिस और जांचकर्ताओं को सोफे पर एक युवा लड़के का शव मिला, जिसके सिर और चेहरे पर गहरे घाव थे । सोफे के नीचे और सोफे पर खून लगा हुआ था साथ ही घटनास्थल पर लोहे की रॉड थी, जिस पर भी खून के निशान थे। इसी रॉड से हत्यारे ने आशू की हत्या की थी ।
आशू की हत्या के संदेह में बलविंदर सिंह नाम के 45 वर्षीय व्यक्ति को एरेबुनी पुलिस स्टेशन लाया गया। जहां पूछताछ में उसने व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी का विवाद होना बताया और बहस के बाद उसकी हत्या करना कुबूल किया । जिसके बाद एरेबुनी और नुबारशेन प्रशासनिक जांच विभाग के जांचकर्ता के आदेश पर हत्यारे बलविंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया ।
गरीबी से जूझ रहे परिवार ने पार्थिव शरीर भारत लाने सरकार से लगाई गुहार-
मृतक के परिजनों ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। हम अपने दम पर लाश भारत नहीं ला सकते है। ऐसे में राज्य सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से मदद की गुहार लगाई है।
आर्मेनिया कानून के सम्बंध में सूचना : कथित अपराध के संदिग्ध या आरोपी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक कि उसका अपराध आर्मेनिया गणराज्य की आपराधिक प्रक्रिया संहिता द्वारा अदालत के कानूनी रूप से बाध्यकारी निर्णय द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार साबित नहीं हो जाता है।