Ratlam के GD Hospital

MP के इन दो अस्पतालों में मरीजों से हुआ खेल! कहीं ICU में बंधक तो कहीं इलाज के नाम पर ठगी.

अगर आपका कोई अपना अस्पताल में भर्ती हो और आपको बताया जाए कि वो कोमा में है, उसकी रीढ़ की हड्डी टूट चुकी है, और इलाज के लिए लाखों रुपये लगेंगे… और फिर वही मरीज अचानक अपने पैरों पर चलकर ICU से बाहर आ जाए, तो आप क्या सोचेंगे?”

मध्य प्रदेश के दो बड़े शहरों में अस्पतालों की लापरवाही और ठगी के सनसनीखेज मामले सामने आए हैं। एक मामले में मरीज ICU से खुद बाहर निकल आया, जबकि उसे कोमा में बताया जा रहा था, और दूसरे में इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूलने के बाद मरीज की मौत हो गई। इन घटनाओं ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पहली घटना रतलाम जिले से है और दूसरी रीवा जिले के प्रार्थना हॉस्पिटल की.

आइए विस्तार से जानते हैं पूरा मामला

Ratlam के GD Hospital से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मरीज बंटी निनामा को जबरन ICU में कैद रखा गया। अस्पताल ने झूठ बोला कि वो कोमा में है, लेकिन हकीकत कुछ और थी।

इस घटना में Ratlam के GD Hospital में बंटी निनामा नामक मरीज को ICU में भर्ती किया गया था। उसकी पत्नी लक्ष्मी निनामा को अस्पताल ने बताया कि मरीज कोमा में है, रीढ़ की हड्डी टूट गई है और इलाज के लिए बड़ी रकम चाहिए। लेकिन जब पत्नी पैसों का इंतजाम कर अस्पताल पहुंची, तो बंटी खुद ICU से बाहर निकल आया। यह देख पत्नी और परिजन आश्चर्य में पड़ गए ।

3 मार्च को सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में बंटी निनामा अर्धनग्न हालत में अस्पताल से बाहर आता दिखा। उसके हाथ में टॉयलेट बैग और नाक में नली लगी थी। बंटी ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने उसे जबरन बांधकर रखा था और इलाज के नाम पर मोटी रकम मांगी गई थी।

पीड़ित की पत्नी लक्ष्मी निनामा ने बताया –
“मुझे कहा गया कि मेरे पति कोमा में हैं। मैंने एक लाख रुपये का इंतजाम किया और अस्पताल पहुंची, लेकिन ICU में देखा कि मेरे पति को बांधकर रखा गया था। बाद में उन्होंने खुद बताया कि वो होश में थे, लेकिन मिलने नहीं दिया जा रहा था।”

अस्पताल ने अपने पक्ष में यह सफाई दी है ।

GD अस्पताल के मैनेजर नंदकिशोर पाटीदार ने बताया कि मरीज को खुद के शरीर को नुकसान पहुंचाने से बचाने के लिए बांधा गया था। मरीज ने स्वयं अधिक राशि दी है, जो अधिक राशि है हम वापस करने को तैयार है । लेकिन कोई लेने हो नहीं आया ।

हालांकि, पीड़ित पक्ष का कहना है कि अस्पताल ने पहले परिजनों से बड़ी रकम मांगी और बाद में इलाज के नाम पर 18,000 रुपये वसूल लिए, जबकि असली बिल केवल 6,920 रुपये का था। अब स्वास्थ्य विभाग ने जांच कमेटी बना दी है, अस्पताल के CCTV फुटेज लिए जा चुके हैं और जल्द ही रिपोर्ट आने की उम्मीद है। इस मामले में उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल की तरफ से बयान यह मिला है कि जांच के बाद किसी निष्कर्ष में पहुंच सकते हैं ।

दूसरा मामला रीवा जिले का है जहां इलाज के नाम पर लाखों की ठगी और फिर मौत तक का सफर!

रीवा के प्रार्थना हॉस्पिटल में इससे भी गंभीर मामला सामने आया। मृतक के परिजन के बताए अनुसार यहां एक मरीज को गलत जानकारी देकर एडमिट किया गया, सिजेरियन डिलेवरी करवाई गई, उसके बाद लाखों रुपये वसूले गए और इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई।

परिजनों का आरोप है कि मरीज की हालत पहले गंभीर नहीं थी, लेकिन अस्पताल ने झूठी रिपोर्ट और जानकारी बताकर उसे ICU में भर्ती कर दिया। आपरेशन से बच्ची का जन्म हुआ, इसके बाद नवजात की मां की हालत बिगड़ने लगी, इधर प्रार्थना हॉस्पिटल वाले लगातार पैसे मांगते रहे, और जब स्थिति और भी बिगड़ने लगी, तो मरीज को किसी दूसरे अस्पताल ले जाने की इजाजत भी नहीं दी गई। यह कह कर कि पहले पैसे जमा करो । इस मामले में डॉक्टर सोनल अग्रवाल का नाम उछल कर सामने आया है । इससे पहले भी डाक्टर सोनल अग्रवाल विवादों में रही हैं । वह विवाद संजयगांधी हॉस्पिटल से मरीज को जबरन प्राइवेट हॉस्पिटल भेजने का था । वह अस्पताल भी प्रार्थना अस्पताल था । उस मामले में विधानसभा अध्यक्ष तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था ।

उस पूरे मामले की जांच की मांग की है, अस्पताल ने इलाज में किसी भी गड़बड़ी से इनकार कर दिया। बाद में एक जांच में कई खामियां पाई गईं और डॉक्टर सोनल अग्रवाल सहित अन्य के विरुद्ध
कार्रवाई की सिफारिश की गई। इसके बाद विभागीय जांच बैठी और फिर वही हुआ जो संपन्न व्यक्ति की जांच में होता है.

उस घटना के बाद काफी समय बीता लेकिन प्रार्थना हॉस्पिटल और इस तरह के धन केंद्रित प्रबंधन के रवैए में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।

अब रतलाम की घटना सामने आने के बाद प्रश्न यह उठता है कि क्या यह संयोग है या प्राइवेट अस्पतालों का नया खेल?

रतलाम और रीवा, दोनों मामलों में एक पैटर्न नजर आता है—मरीजों को जबरन ICU में रखने, इलाज के नाम पर झूठ बोलने और मोटी रकम वसूलने की रणनीति।

क्या प्राइवेट अस्पतालों में मरीज सिर्फ पैसों के लिए बंधक बनाए जा रहे हैं? क्या अस्पतालों की व्यवसायिक सोच ने इंसानियत को खत्म कर दिया है?

जब एक तरफ कुछ अस्पताल प्रबंधन मानवता की मिसाल प्रस्तुत कर रहे । मरीजों को जीवन दान दे रहे । वहीं दूसरी तरफ रतलाम के उक्त हॉस्पिटल और प्रार्थना हॉस्पिटल की घटना पूरे स्वास्थ्य जगत को शर्मिंदा होने पर मजबूर कर रहे हैं ।

ईश्वर सभी को सद्बुद्धि प्रदान करे ।
लेकिन आप भी अपने लिए अस्पताल चुनने से पहले इस तरह की सोच और कार्यप्रणाली वालों से सतर्क रहें ।

अंत में इतना ही यदि आपके आसपास भी ऐसा कुछ हुआ है, तो इसकी शिकायत जरूर करें। सतर्क रहें और अपने अधिकारों की जानकारी रखें।

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