बांधवगढ़ किला को लेकर रीवा राजघराने ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका
स्वतंत्रता के पूर्व तक रीवा राजघराना स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में था.
MP High Court News: स्वतंत्रता के पूर्व तक रीवा राजघराना स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में था। स्वतंत्रता के पश्चात रीवा राजघराने का भारत में विलय हो गया। राजघराने की कई संपत्तियां भी सहमति के पश्चात शासकीय घोषित हुई। लेकिन वर्तमान समय में एक मामला सामने आया है। जिसमें हाईकोर्ट ने केंद्र तथा राज्य सरकार को नोट जवाब तलब किया है।
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क्या है मामला
रीवा राजघराने ने हाईकोर्ट में बांधवगढ़ नेशनल पार्क मैं बनी बांधवगढ़ किले को अधिग्रहित कर मुआवजा राशि देने के मामले में जवाब तलब किया है। पूर्व महाराजा मार्तंड सिंह के पुत्र पुष्पराज सिंह ने अपने अधिवक्ता अभिजीत अवस्थी की ओर से आवेदन दिया है कि स्वाधीनता के पूर्व 1954 में रीवा स्टेट का विलय भारत में हुआ।
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इस दौरान ट्रीटी आफ स्टेट के तहत रीवा राजघराने की पूरी संपत्ति का वीडियो बनाया गया। इस शेड्यूल में बांधवगढ़ का किला भी शामिल था। राजघराने के सदस्य 565 एकड़ मैं पहले इस किले मैं आते जाते थे। लेकिन बांधवगढ़ नेशनल पार्क स्थापित हो जाने के बाद आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया।
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ऐसे में याचिकाकर्ता पुष्पराज सिंह के अधिवक्ता का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 363 के तहत राजघराने की संपत्तियों को विशेष दर्जा प्राप्त है। सरकार संपत्ति के उत्तराधिकारी को उसके अधिकार से वंचित नहीं कर सकती।
साथ ही अधिवक्ता का कहना है कि वर्तमान समय में उक्त संपत्ति का उपयोग राज्य सरकार और वन विभाग कर रही है। ऐसे में इस संपत्ति का अधिग्रहण कर उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। लेकिन इस ओर न तो वन विभाग का ध्यान जा रहा है और न ही सरकार का।
इन्हें जारी हुआ नोटिस
हाईकोर्ट एकल पीठ न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने तर्क सुनने के बाद नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव, केंद्र सरकार के कैबिनेट सेक्रेटरी, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन विभाग के संयुक्त सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान वन संरक्षक शहडोल, बांधवगढ़ नेशनल पार्क के डायरेक्टर, कलेक्टर उमरिया को नोटिस जारी किया गया है।