रीवा में 206 करोड़ में बनेगा 290 एकड़ का बड़ा एयरपोर्ट
रीवा. रीवा में एयरपोर्ट बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए 99 एकड़ भूमि अधिग्रहित की जाएगी। रीवा हवाई पट्टी का विकास भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण स्वयं के व्यय पर करेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में एयरपोर्ट निर्माण का मंजूरी दे दी गई.
इसके लिए रीवा हवाई पट्टी में 64 एकड़ के अतिरिक्त कुल 290 एकड़ भूमि की आवश्यकता थी जिसे कैबिनेट में भूमिअधिग्रहण के लिए 206 करोड़ की स्वीकृति प्रदान कर दी गई। हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकास के लिए अधोसंरचना एवं ऑपरेशन पर होने वाले संपूर्ण राशि का वहन भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा।
राज्य शासन ने केवल भूमि अधिग्रहित कर भाविप्रा को आवंटित करने पर मुहर लगा दी है। हवाई अड्डे के उन्न्यन के लिए भाविप्रा ने 50 करोड़ दिया था। इसके अतिरिक्त रीवा में एटीआर-72 (आइएफआर) टाइप विमान संचालन के लिए विकसित किए जाने के लिए 290 एकड़ भूमि राज्य शासन से उपलब्ध कराने को कहा था।
यह बनेगा मास्टर प्लान के अनुसार 1800 बाय 45 मीटर की हवाई पट्टी, टर्मिनल भवन, आइसोलेशन-बे, एप्रन, सर्विस भवन, कार पार्किंग, डीवीओआर तथा बाउंड्री बनानी है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने रीवा हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने के लिए पहले चरण में 50 करोड़ दे दिए हैं, जिसके लिए टेंडर की कार्यवाही पूर्ण होकर निर्माण एजेंसी को वर्क आर्डर हो चुका है। निर्माण के लिए लगने वाली शेष राशि लगभग 150 करोड़ रुपए भाविप्रा द्वारा दिया जाएगा।
हवाई सेवा प्रांरभ होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। हवाई सेवा प्रांरभ होने से बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी ह्वाइट टाइगर सफारी देखने रीवा आएंगे। बताया जा रहा है कि अभी हवाई सेवा प्रांरभ नहीं होने के कारण लोग जबलपुर, भोपाल एवं इलाहाबाद से जा रहे है। इसके पहले हवाई सेवा प्रांरभ कर 9 सीटर की एयर टैक्सी चलाई गई थी लेकिन हवाई पट्टी का उन्नयन होने के कारण इसे बंद कर दिया गया गया था।
विंध्य के लिए यह बड़ी उपलब्धि पूर्व मंत्री व रीवा के विधायक राजेंद्र शुक्ल बताते हैं कि हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने 2014 से प्रयास चल रहा था। अब जाकर प्रोजेक्ट धरातल पर आ गया। रीवा ही नहीं विंध्य के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। उम्मीद है 6 महीने में बड़े विमान यहां उतर सकेंगे। इससे क्षेत्र में विकास के नए द्वार खुलेंगे और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।