
तेजी से मानसिक रोगी हो रहे लोग, चौंका देंगे मेंटल असाइलम के आंकड़े
जिंदगी में बढ़ता तनाव इंसान के दिमाग की सेहत बिगाड़ रहा है। गृह क्लेश, काम का बोझ, अपेक्षा अनुकूल सफलता नहीं मिलना सहित अनेक कारण ऐसे हैं, जिनसे दिमाग पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। साथ ही, अस्त-व्यस्त दिनचर्या में व्यायाम पर ध्यान न दे पाने से शरीर के साथ दिमाग की सेहत भी बिगड़ रही है। इस कारण मानसिक मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित आरोग्यशाला में हर साल 25 प्रतिशत मानसिक रोगी बढ़ रहे हैं।
आरोग्यशाला की ओपीडी में 400 से 500 मरीजों की हर साल बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही, भर्ती मरीजों की संख्या हर साल 2 हजार से 3 हजार तक बढ़ रही है। साल 2020 में मानसिक आरोग्यशाला के क्लोज वार्ड में 75 मरीज भर्ती हुए और ओपन वार्ड में 350 मरीज। साल 2021 में क्लोज वार्ड में 100 भर्ती हुए, वहीं ओपन वार्ड में 400 मरीज भर्ती हुए। साल 2022 में क्लोज वार्ड में 125 मरीज भर्ती हुए, जबकि ओपन वार्ड में 750 मनोरोगी भर्ती हुए।
महिलाओं की अपेक्षा पुरुष मानसिक रोगी अधिक
मानसिक आरोग्यशाला के आंकड़ों के अनुसार, तीन साल में क्लोज वार्ड में भर्ती हुए 300 मानसिक रोगियों में महिला रोगियों की संख्या 123 रही, जबकि पुरुष मरीजों की संख्या 177 दर्ज की गई। पुरुष मरीज महिलाओं की अपेक्षा अधिक संख्या में मानसिक रोगी हो रहे हैं।
लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
इस संबंध में ग्वालियर मानसिक आरोग्यशाला के संचालक डॉ. संजय लहारिया ने बताया कि, काम के बोझ, गृह क्लेश, पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा आदि के कारण तनाव बढ़ रहा है। ऐसे में व्यायाम, योग करने तथा अकेले रहने से बचते हुए परिवार के साथ वक्त बिताने और मनोरंजन और खेल गतिविधियों में हिस्सेदारी करने की जरूरत है। परिवार के किसी भी सदस्य में मानसिक रोग के लक्षण महसूस होने पर तत्काल मानसिक रोग चिकित्सक या काउंसलर से संपर्क करना चाहिए। टेली मानस कार्यक्रम के तहत संचालित की जा रही सेवा का टोल फ्री नंबर-14416 एवं 18008914416 पर संपर्क कर सकते हैं।
इस तरह बढ़े मरीज
ओपीडी में नए मरीजों की संख्या वर्ष 2020 में 4890 दर्ज की गई। जबकि भर्ती मरीजों की संख्या 23107 रही। साल 2021 में ओपीडी में 5120 नए मरीज पहुंचे, जबकि भर्ती मरीजों की संख्या 29587 हो गई। साल 2022 में ओपीडी में 5717 नए मरीज पहुंचे और 32504 भर्ती मरीज दर्ज किए गए। ओपीडी में प्रति वर्ष नए मरीजों में 400 से 500 मरीज बढ़ रहे हैं, वहीं भर्ती मरीजों की संख्या में दो से तीन हजार की वृद्धि हो रही है।
समय पर इलाज से जल्द ठीक हो जाते हैं रोगी
मनोरोग चिकित्सक के अनुसार मानसिक रोग के प्रारंभिक लक्षण होने पर समय पर चिकित्सा सलाह लेने और दवा शुरू कर देने से दो या तीन माह में मरीज ठीक हो जाता है। विलंब से अस्पताल पहुंचने पर मर्ज बिगड़ने के कारण उसके ठीक होने का समय ज्यादा बढ़ जाता है। मानसिक रोग से ग्रसित मरीजों में से 90 फीसदी मरीज ठीक होकर अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।
मानसिक रोग के प्रारंभिक लक्षण
मनोरोग चिकित्सकों के मुताबिक, मानसिक रोग के प्रारंभिक लक्षणों में कई दिनों तक नींद नहीं आना। बेवजह घबराहट, बेवजह चिंतित रहना। हर किसी पर शंका करना। अजीब महसूस होना। बिना बात के गुस्सा होना। दिनभर बिना खाए पीए बने रहना। अत्यधिक चिड़चिड़ापन, असाधारण बर्ताव, सपने में चीखना आदि शामिल हैं।