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प्रदेश में सबसे ज्यादा कमाऊ सड़क

भोपाल-देवास टोल की एक साल की कमाई 293 करोड़ यानी रोज 81 लाख




प्रदेश की प्रमुख टोल सड़कों पर सालाना 7% टोल टैक्स बढ़ाया जा रहा है, इसके चलते इन टोल की कमाई इन्हें बनाने की लागत से 10 से 20 गुना तक ज्यादा हो चुकी है। अभी प्रदेश में सबसे ज्यादा कमाऊ सड़क है भोपाल-देवास रोड। इस 141 किमी सड़क को 12 अगस्त 2010 को 463 करोड़ रु. में बनाया गया था। लेकिन बीते 10 साल में इन टोल से 1124 करोड़ रु. की कमाई हो चुकी है।




1 जनवरी 2021 से एक जनवरी 2022 तक इस सड़क पर 293 करोड़ रु. टोल वसूला गया यानी हर दिन करीब 81 लाख रुपए। इसकी बड़ी वजह है- इस सड़क पर ट्रैफिक का 1700 गुना बढ़ जाना। इसी तरह लेबड़-जावरा सड़क से हर दिन 57 लाख तो जावरा-नयागांव रोड से 62 लाख रु. का टोल आ रहा है।

इन सड़कों पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक बढ़ा




रीवा एमपी-यूपी बॉर्डर

लाइट व्हीकल 264.79% बस 139.49%





दमोह-कटनी

एलएमवी 27.73% मल्टी एक्सल 267.77%




बड़वानी कुक्षी

मल्टी एक्सल 2158.19%




लेबड़-जावरा

लाइट व्हीकल 53.56% कमर्शियल व्हीकल 122.27%




इंदौर-उज्जैन

लाइट व्हीकल 44.86% कमर्शियल 161.51%





खंडवा-देवतलाई-बुरहानपुर

लाइट व्हीकल 76.42%

जावरा-नयागांव

लाइट व्हीकल 13.55% मल्टी एक्सल 36.95%




देवास-भोपाल सड़क के मेंटेनेंस पर 10 साल में सिर्फ 150 करोड़ ही खर्च

इंडियन रोड कांग्रेस के नियम बताते हैं कि किसी टोल पर हर साल 4 फीसदी ट्रैफिक बढ़ता है। इसी से रोड की सालाना मरम्मत का खर्च निकल आता है। भोपाल-देवास सड़क पर 10 साल में मेंटेनेंस पर 150 करोड़ रु. खर्च हुए।




नियमों के हिसाब से शुरुआती 4 साल में 7 लाख रु. प्रति किलोमीटर का मेंटेनेंस खर्च मानें तो चार साल में 40 करोड़ रु. मेंटेनेंस खर्च रहा। पाचवीं साल में 20 लाख रु. प्रति किमी के हिसाब से डामरीकरण किया जाए तो ये खर्च 28 करोड़ रु. हो जाता है। इस रोड से जनवरी 2021 तक 831.22 करोड़ रुपए टोल कलेक्शन हुआ, जबकि जनवरी 2022 में यह 1124 करोड़ रु.हो गया।

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