पेड न्यूज साबित होने पर प्रत्याशी के निर्वाचन व्यय में जुड़ेगा खर्च
सतना 29 अक्टूबर 2023/विधानसभा आम निर्वाचन के दौरान जिले में केबिल चैनलों, समाचार पत्रों के माध्यम से प्रसारित एवं प्रकाशित खबरों पर नजर रखी जा रही है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर पेड न्यूज पर नजर रखने के लिये जिला स्तर पर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में मीडिया अनुवीक्षण एवं प्रमाणन समिति (एमसीएमसी) गठित की गई है। एमसीएमसी द्वारा ही मीडिया सेंटर (मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ) के जरिए 24 घंटे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया द्वारा प्रसारित होने वाली खबरों की गहन छानबीन की जा रही है। पेड न्यूज साबित होने पर संबंधित प्रत्याशी के निर्वाचन व्यय में पेड न्यूज प्रकाशन पर हुआ खर्च जोड़ा जायेगा।
पहले करवाना होगा पूर्व प्रमाणन
निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर चुनाव प्रचार संबंधी कार्यक्रम व क्लिपिंग इत्यादि प्रसारित करने के लिये पूर्व अनुमति लेनी होगी। इसके लिए प्रमाणित ट्रांसक्रिप्ट दो प्रति में रजिस्ट्रीकृत राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनैतिक पार्टी एवं चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी को टेलीकास्ट करने से तीन दिन पूर्व तथा गैर रजिस्ट्रीकृत राष्ट्रीय और राजनैतिक दल एवं अन्य को सात दिन पूर्व एमसीएमसी प्रकोष्ठ को देनी होगी। मूल स्क्रिप्ट सहित सम्पूर्ण चुनाव प्रचार सामग्री की बारीकी से जाँच करने के बाद ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से चुनावी प्रचार संबंधी कार्यक्रम व विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति दी जायेगी।
केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम का उल्लंघन करने पर जप्त होगे ऑपरेटर के उपकरण
विधानसभा निर्वाचन में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा केबिल टेलीविजन नेटवर्क के जरिये किये जाने वाले विज्ञापनों के प्रसारण के संबंध में जारी निर्देशानुसार केबिल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम 1995 तथा इसके उपबंधों के अनुसार निर्धारित विज्ञापन संहिता के अनुरूप न पाये जाने वाले विज्ञापनों का प्रसारण केबिल सेवा के माध्यम से नहीं किया जा सकता। इसका उल्लंघन पाया जाता है तो प्राधिकृत अधिकारी द्वारा केबिल ऑपरेटर के उपकरण को जप्त किया जा सकता है। राजनैतिक विज्ञापनों के प्रमाणीकरण के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों द्वारा अधिप्रमाणित राजनैतिक विज्ञापनों का प्रसारण ही केबल नेटवर्क के माध्यम से किया जा सकता है। केबिल ऑपरेटर्स द्वारा संचालित लोकल न्यूज चैनल्स पर पेड न्यूज की निगरानी रखने के निर्देश भी दिये गये हैं।
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प्रचार सामग्री पर प्रकाशक एवं मुद्रक का नाम अनिवार्य
विधानसभा निर्वाचन 2023 के अंर्तगत कोई भी अभ्यर्थी किसी भी प्रकार के पैम्पलेट, पोस्टर मुद्रालय में छपवाता है, तो उससे निर्धारित प्रारूप पर हस्ताक्षर हो जिसमें दो गवाह भी होने चाहिये। निर्वाचन पैम्पलेटों, पोस्टरों आदि का मुद्रण एवं प्रकाशन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127ए के उपबन्धों द्वारा विनियमित किया जाता हैं। कोई व्यक्ति किसी ऐसे निर्वाचन पैम्पलेट अथवा पोस्टर का मुद्रण या प्रकाशन नहीं करेगा अथवा मुद्रित या प्रकाशित नहीं करवायेगा, जिसके मुख्य पृष्ठ पर मुद्रक एवं उसके प्रकाशक का नाम व पता न लिखा हो। कोई व्यक्ति किसी निर्वाचन पैम्पलेट अथवा पोस्टर का मुद्रण नहीं करेगा या मुद्रित नहीं करवाएगा। जब तक कि प्रकाशक की पहचान की घोषणा उनके द्वारा हस्ताक्षरित तथा दो व्यक्ति जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हो, द्वारा सत्यापित न हो तथा जिसे उनके द्वारा डुप्लीकेट में मुद्रक को न दे दिया जाये तथा जब तक कि दस्तावेज के मुद्रण पश्चात् उचित समय पर मुद्रक द्वारा दस्तावेज की चार प्रतियों के साथ घोषणा की एक प्रति न भेजी जाएं। कोई व्यक्ति जो उपधारा (1) अथवा उपधारा (2) के किसी भी उपबन्ध का उल्लंघन करता है, वह 6 महीने तक कारावास अथवा जुर्माना जिसे दो हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है अथवा दोनों से दण्डनीय होगा।