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मेडिकल नशे की चपेट में जिले के युवा बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा कफ सिरप

 

प्रतिदिन कार्रवाई फिर भी परिणाम बेहतर नहीं उप्र के रास्ते आता है नशा




रीवा नशे के कारोबार को लेकर सूत्र बताते हैं कि सबसे ज्यादा गय मेडिकल नशा उम्र के रास्ते आ रहा है। हनुमना व चाकबाट इस के सीमाई क्षेत्र के रास्तों से नशा रीवा जिले में प्रवेश करता का है। इसमें मिर्जापुर, बनारस व इलाहाबार के तस्कर शामिल है। हैं। जिनके माध्यम से रीवा के तस्कर पूरे कारोबार को चला की




बस स्टैंड से लेकर बाजार तक

मेडिकल नशा की हालत ये है कि बस स्टैंड से लेकर बाजार तक में आसानी से उपलब्ध है। उसका उपयोग रह भी सार्वजनिक रूप से युवा करते नजर आते हैं। अगर, सार्वजनिक स्थल के शौचालय की हालत देख लें, तो पूरी से हकीकत खुल जाएगी। अकसर उसके आसपास कफ सिरप 1 की शीशी पड़ मिल जाएगी। जबकि, शहर में प्रतिदिन सफाई होती हैं

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बड़ा कारण है कि मेडिकल नशे के अवैध कारोबार से जुड़े लोग पुलिसिया पकड़ से कोसो दूर हैं, पुलिस व कानून का हाथ उन तक पहुंच ही नहीं पाता है। कभी कार्रवाई होती भी है, तो छोटे तस्करों या पैडलर तक पहुंचकर रह जाती है। पुलिस पहुंच ही नहीं पाती है। हालांकि, पुलिस जांच के दौरान शहर के होटलों में हुक्कार पिलाने तक की बात सामने आ चुकी है। आए दिन कफ सिरप पकड़ी जाती है। लेकिन, इसके आगे जांच नहीं

हिमाचल से कफ सिरप सप्लाई

स्कूल, कॉलेज के छात्र निशाने पर

इस कारोबार के निशाने पर स्कूल व कालेज के छात्र सबसे ज्यादा हैं। इस कारोबार से जुड़े लोगे कम उम्र के लड़कों को माध्यम से छात्रों तक पहुंच बनाते हैं और धीरे धीरे उन्हे नशे का आदि बना देते हैं। कहने को स्कूल कालेज के आस पास की पान गुटखे की दुकानों पर कार्रवाई हो रही है।



 हकीकत ये है कि स्कूलों के आस पास दुकाने सजी हुई हैं

शहर से लेकर गांव तक कफ सिरप का नशा आम है। बाजार क्षेत्र तक में कफ सिरप का नशा करते हुए युवा देखे जा सकते हैं। सबसे ज्यादा जिस ब्रांड के सिरप का नशा देखने होती है। को मिलता है या कहें कि आसानी से उपलब्ध रहता है।

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इसके संबंध में बताया जाता है। कि कंपनी मूल रूप से हिमाचल में है। उसी नेटवर्क से कुछ दवा व्यापारी बड़े पैमाने पर मंगाते हैं और अवैध कारोबारियों के माध्यम युवाओं तक पहुंचा देते हैं।




गोली और इंजेक्शन

युवाओं में गोली व इंजेक्शन के उपयोग करने की बात भी देखने को मिल रही है। बताया जाता है कि नींद की गोलियों का उपयोग ज्यादातर हो रहा है। कुछ युवा तो इजेक्शन के माध्यम से नशा शरीर में डाल रहे हैं। जो उन्हे अंदर से खोखला बना रहा है।




जिले के युवाओं में बड़ी तेजी से मेडिकल नशा बढ़ते जा रहा है। आलम ये है कि रीवा को उड़ता पंजाब से तुलना करें, तो बेमानी नहीं होगा। बड़े पैमाने पर युवा इंजेक्शन, गोली व सिरप का उपयोग नशे के लिए कर रहे हैं। इसकी हकीकत भी जिम्मेदारों को मालूम है।




जिसके चलते लगातार कार्रवाई भी देखने को मिलती है, लेकिन परिणाम उम्मीद के अनुरूप देखने को नहीं मिल रहे हैं। इसके पीछे बढ़ती।

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