93b9d5db-e164-4f45-8f36-44d95ac69c6f1661931329349_1661951376

MP का ये दिव्यांग दिमाग से ब्रिलियंट

सीधी के 7 साल के बच्चे को याद हैं 400 श्लोक, स्वस्ति वाचन समेत वेद की ऋचाएं,सब कौटिल्य पुकारते हैं




सीधी जिले के 7 साल के बालक को संस्कृत के 400 श्लोक कंठस्थ हैं। उसे स्वस्ति वाचन सहित वेद की कई ऋचाएं भी याद हैं। दोनों पैर से दिव्यांग आराध्य तिवारी अपनी उम्र से बड़े लोगों को संस्कृत व हिंदी का सही उच्चारण सिखाता है। जिले की बहरी तहसील के फुलवारी गांव में रहने वाले आराध्य को लोग कौटिल्य के नाम से बुलाते हैं।



7 वर्षीय आराध्य को शुरू से ही सनातन धर्म और संस्कृत की ओर विशेष रुचि रही है। घर के धार्मिक माहौल ने उसे धर्म ग्रंथ और संस्कृत पढ़ने के लिए प्रेरित किया। आराध्य ने संध्या वंदन, पूजन पद्धति, संस्कृत के श्लोक, स्वस्ति वाचन, गणेश वंदना सहित वेद की ऋचाएं अपने नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ला से सीखी हैं।




अनुभवी विद्वान की तरह मंत्रोच्चार

आराध्य से स्वस्ति वाचन के लिए बोला तो वह बिना किसी झिझक के स्पष्ट शब्दों में ऐसे उच्चारण करने लगा, जैसे कोई प्रकांड व अनुभवी विद्वान मंत्रोच्चार कर रहा हो। वह अपने नाना के यहां फुलवारी में रहता है। रोज संध्या वंदन करना दिनचर्या में शामिल है। उसके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ला शासकीय हाई स्कूल फुलवारी के प्राचार्य हैं। इन्हीं के मार्गदर्शन में आराध्य दूसरी क्लास में पढ़ रहा है।




जन्म से ही दिव्यांग

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले आराध्य के पिता भास्कर तिवारी गुजरात में प्राइवेट जॉब करते हैं। माता आराधना देवी गृहिणी हैं। आराध्य माता-पिता की अकेली संतान है। जन्म से ही दोनों उसके दोनों पैर काम नहीं कर पाते। उसके दोनों पैर घुटनों से मुड़कर चिपके हुए थे। आराध्य के नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ला ने बताया कि गुजरात के वापी में पांच साल पहले आराध्य के पैरों का ऑपरेशन करवाया गया, इसके बाद वह पैर जमीन पर रखने लगा है। अब करीब 70 फीसदी ठीक हो गया है। शिक्षक हरीश पांडेय ने बताया कि आराध्य विलक्षण प्रतिभा का धनी है। कक्षा में वह सबसे पहले चीजों काे समझ लेता है।




खाली समय में नाना से सीखता है संस्कृत




आराध्य के मामा वेद प्रकाश शुक्ला ने बताया कि घर में सभी पूजा-पाठ करते हैं। इसे देखकर आराध्य को बचपन से ही धार्मिक कार्यों में रुचि थी। उन्होंने बताया कि दिन में और अवकाश के समय आराध्य अपने नाना से संस्कृत सहित अन्य धर्मग्रंथों की शिक्षा लेता रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *