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रीवा: त्रुटिपूर्ण पेंशन निर्धारण को सुधरवाने के लिए सालों से भटक रहा सेवानिवृत व्याख्याता, कोई सुनने वाला नहीं

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में रहने वाले सेवा निवृत व्याख्याता रंगनाथ शर्मा (71) कई वर्षों से अपना हक़ पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. 1980 से लेकर 2014 मध्य प्रदेश सरकार में रहते हुए ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का वहन करने वाले व्याख्याता जब सेवानिवृत हुए तो खुद भ्रष्टाचार का शिकार हो गए. रंगनाथ शर्मा का कहना है कि वे शास. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लखौरा-जिला अनूपपुर से रिटायर हुए थे. इस दौरान उनकी सेवापुस्तिका जांच के लिए संयुक्त संचालक कोष लेखा रीवा को भेजी गई थी. जहां सेवा पुस्तिका और वेतन निर्धारण की जांच करने के एवज में कार्यालय में पदस्त दयाशंकर श्रीवास्तव ने उनसे रिश्वत की मांग की थी. रंगनाथ शर्मा, दयाशंकर श्रीवास्तव को वांछित रिश्वत नहीं दे पाए थे. ऐसे में दयाशंकर श्रीवास्तव ने बलपूर्वक रिश्वत पाने के लिए रंगनाथ शर्मा के विभाग द्वारा किए गए सही वेतन निर्धारण को अमान्य करते हुए जानबूझकर त्रुटियुक्त वेतन निर्धारण कर दिया।

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बता दें कि रंगनाथ शर्मा और अयोध्या प्रसाद सोनी 18. 9.1980 को उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर पदस्त किए गए थे एवं 1.4.81 से प्रधान पाठक पद पर पदस्त हुए थे. विभाग द्वारा दोनों का वेतन निर्धारण एक सामान किया गया था. जो इस प्रकार था

925- 1/4/81

950- 1/9/81

975- 1/9/82 आदि

आरोप है कि संयुक्त संचालक कोष लेखा रीवा में पदस्त रहे दयाशंकर श्रीवास्तव ने अयोध्या प्रसाद सोनी का वेतन निर्धारण उपरोक्तानुसार निम्न प्रकार से किया किया, (925- 1/4/81, 950- 1/9/81, 975- 1/9/82 आदि) मगर रंगनाथ शर्मा के वेतन निर्धारण को वेतन निर्धारण के नियमों के खिलाफ किया। उन्होंने 925- 1/4/81,950- 1/4/82 आदि निर्धारित किया जो अयोध्या प्रसाद सोनी के वेतन निर्धारण से भिन्न है. अतः दयाशंकर श्रीवास्तव ने रिश्वत ना मिलने पर भेदभाव किया। दयाशंकर ने रंगनाथ शर्मा की वेतन वृद्धि 950- 1/9/81 को अमान्य कर जानबूझकर नुकसान पहुंचाने की मंशा त्रुटि कर दी. रंगनाथ शर्मा को विगत वर्षों से मानसिक और आर्थिक क्षति पहुंच रही है, उन्होंने पूर्व में विभागीय अधिकारीयों को अपने साथ हुई घटना के बारे में जानकारी भी दी है लेकिन अबतक उनकी समस्या का निर्धारण नहीं हुआ है.

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रंगनाथ शर्मा का कहना है कि उन्हें द्वारा लगाए गए सभी आरोप सत्य हैं और उनसे पास इसके प्रमाण हैं. शिकायतकर्ता की मांग है कि उनकी वेतन निर्धारण में हुई त्रुटि को सही किया जाए. इस संबंध में पूर्व व्याख्याता ने मध्य प्रदेश सरकार और विभागीय अधिकारीयों से न्याय की उम्मीद जताई है.

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