भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और समृद्धि के क्रम में चुनाव आयोग ने कमर कस लिया है और एक नए प्रयास रिमोट ईवीएम की व्यवस्था की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं,वर्तमान में यूरोप के इस्टोनिया देश में ही Remote Electronic मत की व्यवस्था हैं।

क्या हैं यह व्यवस्था

रिमोट ईवीएम की व्यवस्था खास इसलिए है क्योंकि यह एक साथ अधिकतम 72 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर कर सकता हैं। चुनाव आयोग ने इस व्यवस्था को अमलीजामा पहनाने हेतु आगामी 16 जनवरी को 8 राष्ट्रीय और 57 राज्य स्तरीय दलों को आमंत्रित किया है, अगर राजनीतिक दलों की मंशा इस पर बन पाई तो चुनाव आयोग को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950-51,निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम 1960 में भी संशोधन करना होगा।

क्यों हैं इसकी आवश्यकता

चुनाव आयोग के अनुसार आम चुनाव 2019 में 67.4% मतदान हुआ और 30 करोड़ से अधिक मतदाता मतदान करने से ही वंचित रह गए थे। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 45.4 करोड़ घरेलू प्रवासी हैं जो नौकरी पढ़ाई या शादी जैसे विभिन्न कारणों से पलायन करते हैं, यह कुल जनसंख्या के 37 प्रतिशत है ।इसकी आवश्यकता इसलिए भी आन पड़ी क्योंकि यदि निर्वाचन आयोग और जिला प्रशासन द्वारा शत-प्रतिशत मतदान के अभियान चलाए जाने के बावजूद उनके निर्वाचन क्षेत्रों में 50% से भी कम मतदान देखने में आ रहा है।

क्या होगा इसका प्रभाव

ऐसा होने पर अलगाववादी राजनीतिक दलों को बड़ी चुनौती पेश आएगी जो सीमित मतों से सरकार बना कर सत्ता का लाभ उठाकर संवैधानिक लोकतंत्र का मजाक उड़ाते हैं। रिमोट ईवीएम की व्यवस्था कथित अल्पसंख्यक और जातीय समूह को वोट बैंक की लाचारी से भी छुटकारा दिलाएगी। पंजाब और जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की छाया थी तब वहां हुए विधानसभा चुनाव में 50 से 20% मतदान में ही सरकार बन जाते थे, जो कि बहुसंख्यकों कि अनदेखी करने में सहायक था। आज विश्व के 30 से अधिक देशों में भी अनिवार्य मतदान कानून है लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक बेहतर जनहित सरकार का गठन संभव हो सके इस क्रम में रिमोट ईवीएम के आने से भारत भी अनिवार्य मतदान कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ पाएगा।

भारत में अभी तक हुए चुनाव सुधार

संविधान के संशोधन 61 वे में मतदान की आयु 21 वर्ष से कम करके 18 वर्ष कर दी गई।
प्रस्ताव को की संख्या और जमानत राशि में वृद्धि हुई।
1998 में दिल्ली मध्यप्रदेश और राजस्थान पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ईवीएम का उपयोग हुआ।
दो से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध
लगाया गया।
चुनाव से 48 घंटे की अवधि पूर्व शराब की बिक्री पर रोक लगाई गई।
6 माह के अंदर उपचुनाव की समय सीमा तय की गई। व्यक्तिगत रूप से लोकसभा चुनाव में 50 से 70 लाख और विधानसभा चुनाव में 20 से 28 लाख चुनावी खर्च की सीमा तय की गई।
अंतिम चरण तक एग्जिट पोल पर भी रोक लगाई गई।
डाक मतपत्र के माध्यम से 2013 मैं सेवा शुरू की गई यह सेवाकर्मियों, विदेशी, मिशन कर्मचारियों, आवश्यक सेवाओं के रखरखाव से जुड़े लोग और 80 से अधिक उम्र के दिव्यांग मतदाताओं के लिए की गई।
चुनाव आयोग ने अपने स्थापना दिवस को मार्क करने के लिए 25 जनवरी से को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाना प्रारंभ किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *