राजनीति में प्रणब मुखर्जी का प्रवेश कैसे हुआ चलिए जानते हैं

देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर, 1935 को हुआ और 31 अगस्त 2020 उन्हें इस दुनिया को अलवीदा कहा। वे पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव के रहने वाले हैं। 15 जून, 2012 को वे देश के 13वें राष्ट्रपति बने। काफी प्रभावी राजनीतिज्ञ रहे प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी और भारत सरकार की समस्याओं को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। उनको कांग्रेस के संकटमोचक के नाम से जाना जाता था।

राजनीति में प्रणब मुखर्जी का प्रवेश कैसे हुआ चलिए जानते हैं…

1969 के मिदनापुर उपचुनाव के दौरान वे निर्दलीय कैंडिडेट के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजनीति के प्रति उनके जोश और जज्बे को देखा तो उन्हें कांग्रेस पार्टी का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया। बस यहीं से उनका राजनीति में पदार्पण हो गया। 1969 में वे राज्यसभा के सदस्य बनाए गए।

साल 1982 में वे भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री बने। तब वह 47 साल के थे। आगे चलकर उन्होंने विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त व वाणिज्य मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। करीब 6 दशक तक उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी खेली। उन्होंने इंदिरा गांधी, पी वी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया।

मुखर्जी भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी आठ वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे। वे 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे।

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