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महादेव की नगरी काशी में सभी का ‘काशी तमिल संगमम’ में हृदय से स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने कहा, विश्व के सबसे प्राचीन जीवंत शहर काशी की पावन धरती पर आप सभी को देखकर आज मन बहुत प्रसन्न हो गया है।

 

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से काशी तमिल संगमम का आयोजन किया गया।

काशी तमिल संगमम 1 महीने तक चलने वाला कार्यक्रम है जिसका  उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच ज्ञान और प्राचीन सभ्यता, संबंधों के सदियों पुराने बंधन को फिर से खोजना है और संस्कृति का आदान प्रदान करना है।

भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष आयोजक पंडित कृष्ण चमू शास्त्री ने यह बताया है कि इस कार्यक्रम में तमिल के लोग पूरे 1 महीने तक काशी में रहकर सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। काशी के लोग तमिलनाडु को एग्जीबिशन में देखेंगे। काशी तमिल संगम भारत के इतिहास में हिंदी एवं तमिल भाषी लोगों के मेल मिलाप को बढ़ावा देने के लिए एक सबसे बड़ा महोत्सव है।

धर्मेंद्र प्रधान नें दी जानकारी 

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था की 12 समूह में 2400 से अधिक तमिल लोगों को इस बात की जानकारी दी है कि अगले महीने के 16 नवंबर से काशी तमिल संगमआयोजित की जाएगी।

काशी तमिल संगमम से जुड़े मुख्य बिंदु 

केंद्रीय मंत्री ने शिक्षाविदों, दर्शन, कृषि, उद्यमिता, कला आदि सहित समाज के लिए एक विशाल और विविध वर्ग को इस विषय में संबोधित किया है।

इन 2 प्राचीन शहरों द्वारा साझा किए गए प्राचीन ज्ञान से परिचित होने के लिए यह 12 समूह 8 दिनों के लिए काशी का दौरा करेंगे। यह समूह रामेश्वरम, चेन्नई और कोयंबटूर से ट्रेन से आएंगे।

 

इस दौरान कार्यक्रम के संगोष्ठी, व्याख्यान और चर्चा का आयोजन किया जाएगा।

धर्मेंद्र प्रधान ने महीने भर चलने वाले इस आयोजन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के लिए एक वेबसाइट भी लांच की है।इस वेबसाइट के माध्यम से जो भी इस संगमम में भाग लेना चाहते हैं वे वेबसाइट के माध्यम से अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। कार्यक्रम का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत किया जायेगा।

 

काशी दर्शन के बाद संगम एवं राम नगरी भी जाएंगे तमिल डेलिगेट्स

 

17 नवंबर से 16दिसंबर तक चार अलग-अलग सप्ताह में 12 ट्रेंनों से करीब ढाई हजार तमिल लोग वाराणसी आएंगे, ये डेलीगेट 2 दिन काशी तमिल संगम में रुकेंगे यहां पर बीएचयू के छात्रों, रिसर्चों एकेडमिक लोगों के साथ संगोष्ठी आयोजित की जाएगी, साथ ही काशी में सजे 75 स्टालों पर तमिलनाडु के कल्चर, परिधान, व्यंजन, हस्तकाला, हथकरघा, हेरिटेज, वास्तु कला, मंदिर, त्यौहार खानपान, खेल, शिक्षा एवं राजनैतिक जानकारियां दी जाएंगी। तमिल लोग वाराणसी के मंदिर, घाट, सारनाथ हेरिटेज घूमेंगे और काशी के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसेक बाद ये प्रयागराज संगम एवं अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर का भी दर्शन करने जाएंगे जिसके बाद यह वापस काशी आएंगे और यहां से तमिलनाडु के लिए रवाना होंगे।

पीएम मोदी बोले- दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल

हमारे पास दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है। आज तक ये भाषा उतनी ही लोकप्रिय है। ये हम 130 करोड़ देशवासियों की ज़िम्मेदारी है कि हमें तमिल की इस विरासत को बचाना भी है, उसे समृद्ध भी करना है। हमें अपनी संस्कृति, अध्यात्म का भी विकास करना है।

 

ज्ञान के पहलुओं को कवर करने वाले महत्वपूर्ण विषय,

  1. साहित्य, प्राचीन ग्रन्थ और दर्शन
  2. अद्यात्मिकता
  3. संगीत,नृत्य, नाटक
  4. योग और आयुर्वेद
  5. हाथकारघा, हस्तशिल्प
  6. व्यापार आदान प्रदान  इत्यादि।

 

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