देश की राजनीति में वंशवाद पर अक्सर बहस होती है. क्योंकि यह मुद्दा चुनाव दर चुनाव बढ़ता ही जा रहा है. देश की राजनीति में ऐसे कई उदाहरण है, जहां एक ही परिवार की कई पीढ़ियां राजनीति में एक्टिव हैं. मध्य प्रदेश में भी 2023 में विधासनभा चुनाव होना है, ऐसे में कई नेताओं के पुत्र भी इस चुनाव में टिकट के दावेदार नजर आ रहे हैं.

हालांकि अब तक नेता पुत्रों ने खुलकर टिकट की दावेदारी नहीं की है, लेकिन वह जिस तरह से राजनीतिक दलों में एक्टिव हैं, उसे उनकी दावेदारी से जोड़कर ही देखा जा रहा है. खास बात यह है कि बीजेपी ने एक ही परिवार से दो टिकट न देने की बात कही है. जिससे एमपी में कुछ दिग्गज नेताओं की उम्मीदों को झटका लगा था, लेकिन पिछले दिनों बीजेपी के दिग्गज नेता के बयान से इन नेता पुत्रों की दावेदारी एक बार फिर दम पकड़ती नजर आ रही है

 

2018 से ही चला  आ रहा है वंश वाद,

साल 2018 में  चुनाव में BJP ने पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार की जगह उनके बेटे मुदित शेजवार को सांची विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था, तब वे कांग्रेस के प्रत्याशी प्रभुराम चौधरी से 10,571 वोटों से हार गए थे, कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के दौरान चौधरी के भाजपा में आने के बाद उपचुनाव के लिए एक बार फिर मुदित का नाम चला, तो पार्टी के अंदर ही इनके खिलाफ माहौल बना था. इसके अलावा भी कई नेताओं के परिजनों को टिकट दिया गया था. पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह लोधी को टिकट दिया गया था जो विधायक बने थे. इसके अलावा तब सांसद रहे लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे को सुधीर यादव को भी टिकट दिया गया था.

इन नेताओं के पुत्र दावेदार….

मध्य प्रदेश में ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है, जिनके पुत्र टिकट के दावेदार है. 2013 के विधानसभा चुनाव में भी इनमें से कई नोनिहालों ने टिकट मांगा था, लेकिन तब इन्हें टिकट नहीं मिला था. लेकिन कुछ नेताओं के पुत्रों को टिकट दिया गया था.

 

देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे 

ग्वालियर-चंबल की राजनीति के दिग्गज और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह भी राजनीति में पूरी तरह से एक्टिव हैं, वह ग्वालियर शहर की राजनीति में पिछले कई सालों से सक्रिए हैं, 2018 के विधानसभा चुनाव में देवेंद्र के मुरैना जिले की दिमनी और ग्वालियर शहर से विधानसभा से चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं, टिकट की दौड़ में नेताओं का समर्थन न मिलने से नरेंद्र सिंह तोमर चुप रहे और देवेंद्र को टिकट नहीं मिला. लेकिन टिकट न मिलने के बावजूद देवेंद्र ग्वालियर की राजनीति में खूब एक्टिव हैं, पिता के संसदीय क्षेत्र मुरैना की राजनीति को भी उनकी गैर मौजूदगी में संभालते हैं. ऐसे में इस बार के चुनाव में उनकी दावेदारी की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है.

 

गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन

पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन भी टिकट की दावेदार हैं, बिसेन भी अपनी बेटी को विधानसभा चुनाव लड़वाने के लिए खुलकर पैरवी कर रहे हैं, कई कार्यक्रमों में गौरीशंकर बिसेन सार्वजनिक तौर पर यह कह चुके हैं कि अगले विधानसभा चुनाव में उनकी बेटी मौसम मैदान में होंगी. 2018 के विस चुनाव में बिसेन ने अपनी बेटी के लिए टिकट की सिफारिश की थी, उस वक्त कार्यकर्ताओं का विरोध भी झेलना पड़ा था. लेकिन इस बार वह टिकट के दावेदार नजर आ रहे हैं.

 

गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव 

प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री और बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव भी लंबे समय से राजनीति में एक्टिव हैं, वह 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में दावेदारी जता चुके हैं, जबकि विधानसभा चुनाव में भी वह टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं. अभिषेक पिता के विधानसभा क्षेत्र में पूरी तरह से एक्टिव रहते हैं और सारा काम संभालते हैं. जबकि बीजेपी युवा मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.

 

नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा

इसके अलावा नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा भी अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र में एक्टिव रहते हैं, ऐसे में उनके नाम की चर्चाएं भी जोर पकड़ रही है. सुकर्ण मिश्रा बीजेपी प्रदेश कार्य समिति में सदस्य हैं, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं. पिता की तरह वे लोगों के बीच जगह बना रहे हैं. हालांकि सुकर्ण किस सीट से टिकट की दावेदारी करेंगे यह कुछ तय नहीं है लेकिन उनका नाम उस लिस्ट में शामिल हैं, जिसमें नेताओं के पुत्र टिकट के दावेदार हैं.

 

महाआर्यमन सिंधिया केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य के बेटे 

सिंधिया परिवार की चौथी पीढ़ी भी राजनीति में एक्टिव हो चुकी है, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया भी राजनीति में एक्टिव होते दिख रहे हैं, खास बात यह है कि महाआर्यमन सिंधिया कुछ समय पहले ही ग्वालियर क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष बने हैं, जिन्हें उनकी राजनीतिक एंट्री के तौर पर ही देखा जा रहा है.

 

शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय सिंह 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान भी राजनीति में पूरी तरह से एक्टिव हो चुके हैं. वह पिता के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में पूरा काम संभालते हैं, कार्तिकेय ने अब तक खुलकर टिकट भले ही नहीं मांगा हो लेकिन वह राजनीति में अपने पिता की विरासत संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रहे हैं.

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