रीवा का हेल्थ सिस्टम बेहाल

रीवा का हेल्थ सिस्टम बेहाल, CMHO उदासीन – आखिर कब सुधरेंगे हालात?

रीवा का हेल्थ सिस्टम ICU में! CMHO की उदासीनता से मरीज बेहाल, कब होगा सुधार?

रीवा का हेल्थ सेक्टर पूरी तरह से ICU में है! सरकारी अस्पतालों की हालत बदतर है, प्राइवेट अस्पतालों में लूट मची हुई है, और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सो रहे हैं। आखिर रीवा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) क्या कर रहे हैं?”

आइए विस्तार से जानते है,पूरी खबर–
मध्यप्रदेश के रीवा जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लगातार चरमराती जा रही हैं, लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) और प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाएं तक समय से नहीं मिल रही हैं, नर्सिंग होम और प्राइवेट अस्पतालों में लूटखसोट मची हुई है, लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह मूकदर्शक बना हुआ है।

CMHO की उदासीनता – क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?

रीवा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को लेकर लगातार मामले सामने आ रहे हैं। जिनमें देखा और सुना जा सकता है कि मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा, सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी है, और निजी अस्पतालों में खुलेआम मरीजों का शोषण हो रहा है।
इसके बाद भी संबंधित मुद्दों में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही है ।

जिले में अधिकांश अस्पतालों में डाक्टर समय से नहीं आ रहे हैं ।
इतना ही नहीं जिला चिकित्सालय में भी डॉक्टर समय पर नहीं आते, मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।

इस सब से परेशान होकर जब लोग प्राइवेट संस्थान की तरफ रुख करते हैं तो वहां संकट घटने की जगह बढ़ने लगता है । शारीरिक संकट से जूझ रहा इंसान प्राइवेट संस्थान में पहुंचने के बाद आर्थिक और मानसिक रूप से भी परेशान होने लगता है।

कुछ हालिया घटना क्रम इस तरह हैं–

हाल ही में रीवा के प्रार्थना अस्पताल से मरीज के देख भाल में लापरवाही और दवाओं के हेराफेरी का मामला सामने आया था । इसका मुद्दा हमारे चैनल ने प्रमुखता से दिखाया लेकिन अब तक CMHO और जिला प्रशासन की तरफ से कोई कार्यवाही हुई या नहीं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है ।

इसी तरह अगल बगल बने वरदान हॉस्पिटल और भगवती अस्पताल में भी आए दिन लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं ।

कुछ दिन पहले रीवा के दो नामी अस्पताल विंध्या हॉस्पिटल और मिनर्वा हॉस्पिटल के नजदीकी इलाके में एक नवजात का शव कुत्ता मुंह में दबाए घूमता दिखा जिसकी खबर विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म में आप आज भी देख और पढ़ सकते हैं । ज्ञात हो कि इन हॉस्पिटल के पास इस तरह की घटना में लोगों के बीच चर्चा या वायरल हुई की आस पास के अस्पताल से लापरवाही पूर्वक शव बाहर तो नहीं फेंका गया। हालांकि इस तरह की चर्चा की सत्यता की पुष्टि हमारा चैनल नहीं करता लेकिन बात यदि हो रही तो जांच का विषय तो यह है ही ।

अधिकारियों और विभाग की उदासीनता इतने में भी रुकी है, जिले में कई नर्सिंग होम बिना पर्याप्त लाइसेंस और मानकों के चल रहे हैं, लेकिन CMHO ने इन पर अभी भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है ।

प्राइवेट अस्पताल मरीजों से भारी रकम वसूल रहे हैं, इलाज में देरी हो रही है, और इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं।
लोगों के कहना है कि इस सबकी कई बार शिकायतों के बावजूद न स्वास्थ्य विभाग की कोई टीम जांच के लिए पहुंचती है और न ही किसी पर जिम्मेदारी तय की जाती है। आखिर जनता करे तो करे क्या ।

शहर में जनता के बीच असंतोष देख सकते हैं – बड़ा सवाल यह है कि कब जागेगा प्रशासन?

रीवा की जनता अब सवाल पूछ रही है –
CMHO आखिर कर क्या रहे हैं?

इतनी लापरवाहियों के बावजूद किसी अस्पताल का लाइसेंस क्यों नहीं रद्द किया गया?

क्या रीवा में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी की कोई योजना नहीं है?रीवा का हाल इस प्रकार तब है जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इसी जिले से निर्वाचित हैं ।
आखिर लोकप्रिय और जन हितैषी मंत्री जी कब इन अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे ।

सभी हॉस्पिटल में या हर सुविधा को दिलवाने में प्रत्येक जन प्रतिनिधि स्वयं नहीं पहुंच सकते इसी लिए विभिन्न जिम्मेदारी के लिए व्यक्ति नियुक्त किए गए।

लेकिन यह व्यक्ति सरकार की मदद की जगह समस्या का कारण बन रहे हैं ।
सवाल यह भी है कि आखिर कब तक चलेगा यह सब कुछ ।

क्या CMHO और उनके तरह ही अन्य जमीदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? या फिर यह सब इसी तरह चलता रहेगा ।अपनी सरकार में भरोसा जताते हुए समर्थकों का कहना है कि रीवा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के पीछे CMHO और जिम्मेदारों की नाकामी अब उजागर हो चुकी है। उक्त अस्पतालों की लापरवाही भी उजागर हो रही है। कार्यवाही भी होगी ही ।

नरेन्द्र मोदी और मोहन यादव जैसे संवेदनशील नेतृत्व से लोगों की अपेक्षा है कि अब और नहीं जल्दी ही इस तरह के लापरवाह सिस्टम से मुक्ति दिलाई जाए । इस मामले में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारी और राज्य सरकार को इस मामले को संज्ञान में लेकर कोई कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है ?

यह खबर केवल प्रशासन तक पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि जनता की आवाज उठाने के लिए है। अगर आपके पास भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से जुड़ी कोई शिकायत है, तो हमें बताएं!

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