औरंगजेब अपनी बेटी के प्रेमी को हाथी से कुचलवा कर मरवा डाला था?
शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी हर बच्चे की जुबान पर है। इसी समय उन दोनों की एक छठी संतान और तीसरा पुत्र औरंगजेब हुआ, जिसे एक क्रूर मुगल शासक के रूप में भी जाना जाता है।
औरंगज़ेब की बेटी जैबुन्निसा को अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध प्यार में पड़ना पड़ा और अंततः दिल्ली के सलीमगढ़ किले में 20 साल की कैद के बाद यहीं उसकी मृत्यु हो गई। इतिहासकारों के अनुसार, वह दो दशक तक किले में कैद रहे और शेर-ओ-शायरी से उनका मनोरंजन किया।
सन् 1707 को उसने यातनाओं के चलते दम तोड़ दिया लेकिन मरने से पहले ही कृष्ण भक्त के नाम से जानी जाने लगी. इतिहासकारों का कहना है कि, जैबुन्निसा ने किसी कार्यक्रम के दौरान बुंदेला महाराजा छत्रसाल को देखा तो वह उसको अपना दिल दे बैठी. यह बात औरंगजेब को नागवारा हुई क्योंकि महाराजा छत्रसाल को वह अपना दुश्मन मानता था. औरंगजेब ने फटकार लगाकर जैबुन्निसा को चुप करा दिया. राजा छत्रसाल मस्तानी के पिता थे.
महाराजा छत्रसाल को पसंद करने के बाद जैबुन्निसा का दिल मराठा छत्रपति शिवाजी पर आया. शिवाजी के वीरता के किस्सों की कायल जैबुन्निसा तब शिवाजी की बहादुरी की कायल हो गई जब उसने मराठा छत्रपति शिवाजी आगरा में देखा.
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जैबुन्निसा ने अपने मोहब्बत का अर्ज़ी शिवाजी महाराज तक भिजवाई लेकिन शिवाजी ने उनके प्रस्ताव को माना कर दिया. दो बार प्यार में शिकस्त पाई जैबुन्निसा शायरी करने लगी. इसके साथ ही अब वे मुशायरों और महफिलों में शिरकत करने लगी. इन्हीं में से किसी महफिल में जैबुन्निसा की मुलाकात शायर अकील खां रजी से हुई और वो मुलाकात इश्क में बदल गई. अब लोग इन दोनों के मोहब्बत की बातें भी करने लगे. अकील खां रजी से अपनी बेटी की इस मोहब्बत को औरंगजेब बर्दाश्त नहीं कर पाया. लाख मनाने के बाद भी जब जैबुन्निसा नहीं मानी तो औरंगजेब ने उसे 1691 में दिल्ली के सलीमगढ़ किले में कैद करवा दिया गया और अकील रजी को हाथियों से कुचलवा कर मरवा दिया और उसे कहीं गुमनाम जगह पर दफना दिया. कैद के दौरान जैबुन्निसा ने 5,000 से भी ज्यादा गजलें, शेर और रुबाइयां और कविता संकलन ‘दीवान-ए-मख्फी’ लिखी.
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औरंगजेब की हिंदुओं के लिए नफरत को देखते हुए जैबुन्निसा ने कैद के दौरान विद्रोह करते हुए कृष्ण को अपना लिया और कृष्ण भक्ति में राम गई. मुग़ल समाज में जैबुन्निसा का स्थान वही है जो मीराबाई का था. जैबुन्निसा की शख्सियत का अंजादा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मुगल खानदान में उसके आखिरी शासक बहादुर शाह ज़फर के अलावा जेबुन्निसा की शायरी को ही दुनिया सराहती है. मिर्जा गालिब के पहले वह अकेली शायरा थी जिनकी रुबाइयों, गज़लों और शेरों के अनुवाद अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी सहित कई विदेशी भाषाओं में हुए हैं.
सलीगढ़ किले को 1526 में शेरशाह सूरी के बेटे इस्लाम शाह सूरी द्वारा बनवाया गया था. सलीम शाह की मौत के बाद इस किले में कई मुगल शासकों द्वारा कब्जा किया गया था जिनमें हुमायूं, जहांगीर और औरंगजेब मुख्य थे.