satna: सेंट्रल जेल से पैरोल पर बाहर गए कई दुर्दांत अपराधी हो गए फरार
सतना. जेल के किसी बंदी के अच्छे आचरण को नजर में रखते हुए उसकी सजा की अवधि के दौरान अस्थाई रूप से जेल से रिही करने की व्यवस्था पैरोल के तहत है। केन्द्रीय जेल में लगभग साढ़े 5 सौ बंदी पैरोल के दायरे में हैं। जिसमें नियमित तौर पर 50 के लगभग बंदियों को पैरोल पर छोड़ा जाता है।
इसमें से कई ऐसे कुछ ऐसे दुर्दांत अपराधी भी शामिल हैं जो पैरोल (पश्चावर्ती छुट्टी) पर जाने के बाद फरार हो गए हैं। इनकी संख्या आधा दर्जन के लगभग है। इसमें सबसे ज्यादा चर्चित अपराधी देवेन्द्र सिंह यादव है जो शहर को स्तब्ध कर देने वाले बहुचर्चित शुक्ला हत्याकांड का मास्टर माइंड था। हद तो यह है कि देवेन्द्र को फरार हुए 10 साल हो गए लेकिन आज तक उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
सतना शहर के पॉश इलाकों में शुमार रहे राजेन्द्र नगर में जुलाई 2002 एक वीभत्स हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। इसमें राजेश शुक्ला, उनकी पत्नी मधु शुक्ला, मासूम बेटा प्रभांशु शुक्ला, और राजेश की बहन विनीता शुक्ला की हत्या कर दी गई थी।
इस हत्याकांड को बड़े वीभत्स और शातिराना तरीके से अंजाम दिया गया था। इस हत्याकांड का मास्टर माइंड देवेन्द्र यादव था जिसने अपने चार अन्य साथियों के साथ मिलकर अंजाम दिया था। इस घटना से पूरा शहर सन्न रह गया था। एक हंसता खेलता परिवार महज एक एक तरफा प्यार के कारण खत्म कर दिया गया था।
मामले में 2007 में देवेन्द्र यादव पिता जगन्नाथ सिंह यादव को आजीवन कारावास के दण्ड से दंडित किया गया था। इसे अगस्त 2012 को पैरोल पर 15 दिन के लिये अस्थाई मुक्ति पर छोड़ा गया था। लेकिन इसके बाद से वह फरार है। इस संबंध में जेल प्रशासन ने सिटी कोतवाली एवं कोलगवां थाने में 30 के लगभग स्मरण पत्र भेजे हैं लेकिन ठोस कार्रवाई देवेन्द्र की गिरफ्तारी को लेकर नहीं की गई है।
एक बंदी तो 16 साल से है फरार
पैरोल के बहाने फरार होने वालों में अमरपाटन निवासी राजेश तिवारी पिता लल्ला सिंह तिवारी का है। आजीवन कारावास से दंडित यह बंदी 16 साल से फरार है। जून 2006 में पैरोल पर गया राजेश आज तक फरार है। अमरपाटन पुलिस ने लगातार रिमाइंडर मिलने के बाद भी इसकी गिरफ्तारी के कोई प्रयास नहीं किए।
पन्ना छतरपुर के कैदी भी केन्द्रीय जेल से फरार
केन्द्रीय जेल सतना से फरार होने वालों में पन्ना और छतरपुर जिलों के बंदी भी शामिल हैं। इनमें गोवर्धन पाल पिता जगना पाल निवासी बकस्वाहा जिला छतरपुर जो आजीवन कारावास से दंडित है, अक्टूबर 2015 से फरार है। दुर्गा काछी पिता नन्नइया काछी निवासी लखनगुंवां थाना पिपट जिला छतरपुर आजीवन कारावास से दंडित है।
सितंबर 2014 से फरार है। सुरेन्द्र सिंह पिता गुमान सिंह निवासी सिविल लाइन छतरपुर जिला छतरपुर आजीवन कारावास से दंडित है। सुरेन्द्र जुलाई 2008 से फरार है। आजीवन कारावास से दंडित पवन पाण्डेय पिता प्रकाश पाण्डेय निवासी कमला कालोनी थाना सिविल लाइन छतरपुर सितंबर 2013 से फरार है। बेनी दहायत पिता लालमन दहायत निवासी खमतरा थाना शाहनगर जिला पन्ना को आजीवन कारावास की सजा हुई है। ये सितंबर 2017 से फरार है।
पुलिस नहीं रहती गंभीर
इस मामले में जेल प्रशासन का कहना है कि उनके द्वारा लगातार कोलगवां थाना पुलिस सहित संबंधित थानों और पुलिस अधीक्षक को स्मरण पत्र दिये जाते हैं। लेकिन पुलिस इन फरार बंदियों को लेकर गंभीर नजर नहीं आती है। यही वजह है कि आज तक इनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।