तारिख विशेष : आज के दिन हुआ था एक नहीं दो देशो का राष्ट्रगान लिखने एवं नोबल पुरस्कार विजेता का जन्म
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2023
रबींद्रनाथ टैगोर (ravindra nath taigore) को कई तरह से याद किया जाता है। वे देश के लिए एक ऐतिहासिक साहित्यकार, कवि, चित्रकार, उपन्यासकार, नाटककार, चित्रकार थे तो वहीं दूसरी तरफ एक चिंतक, दार्शनिक, और विचारक भी थे। जिनसे महात्मा गांधी से लेकर महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन तक प्रभावित थे।उन्हें 1913 में साहित्य के लिए दिए गए नोबेल पुरस्कार के लिए भी जाना जाता है।उन्होंने देश कीआजादी और स्थिति के लिए भी चिंतन किया। जलियांवाला बांग नरसंहार के विरोध में अंग्रेजों की दी हुई नाइटहुड लौटा दी। देश को कई मामलों में दिशा देने का प्रयास भी किया। 7 मई को उनकी जयंती उनके योगदान को समझने के एक अवसर के तौर पर देखी जानी चाहिए।
देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित, एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता एवं एकमात्र कवि, जिनकी दो रचनाओं को दो देशों के राष्ट्रगान, भारत का ‘जन गण मन’ और बंगलादेश का ‘आमार सोनार बांग्ला’ बनने का सौभाग्य मिला, रवीन्द्रनाथ टैगोर (ravindra nath taigore) साहित्य कला के माध्यम से भारत की संस्कृति और सभ्यता को पश्चिमी देशों में फैलाया। बंगला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूंकने वाले युगदृष्टा वही थे।
भारतीय राष्ट्रगान के रचनाकार टैगोर (ravindra nath taigore) जी के 10 प्रमुख वचन
- सिर्फ खड़े होकर और पानी को देखते रहने से आप समुद्र को पार नहीं कर सकते।
- सब कुछ हमारे पास आता है जो हमारा है अगर हम इसे प्राप्त करने की क्षमता बनाते हैं।”
- छोटा ज्ञान एक गिलास में पानी की तरह है: स्पष्ट, पारदर्शी, शुद्ध।
- महान ज्ञान समुद्र में पानी की तरह है: अंधेरा, रहस्यमय, अभेद्य।
- यदि आप रोते हैं क्योंकि सूरज आपके जीवन से बाहर चला गया है, तो आपके आँसू आपको सितारों को देखने से रोकेंगे।”
- खुश रहना बहुत आसान है, लेकिन बहुत मुश्किल बहुत है ।
- ऊँचे उठो, क्योंकि तारे तुम में छिपे हैं। गहरे सपने देखें, क्योंकि हर सपना लक्ष्य से पहले आता है।
- मृत्यु प्रकाश को बुझाना नहीं है; यह केवल दीए को बुझाना है क्योंकि भोर हो गई है।
- मैं सोया और सपना देखा कि जीवन आनंद था। मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है। मैंने काम किया और देखा, सेवा ही आनंद है।
- विश्वास वह पक्षी है जो उजाले को महसूस करता है जब भोर अभी भी अंधेरा है।
- हम महान के सबसे करीब तब आते हैं जब हम विनम्रता में महान होते हैं।