लोकायुक्त में 23 सरपंच सचिव व सप्लायर पर दर्ज हुआ प्रकरण 1.20करोड़ के घोटाले का आरोप

कई पंचायतो में हुई थी अनियमितता

रीवा : लोकायुक्त रीवा ने जिला अनूपपुर कोतमा की एक गंभीर शिकायत के आधार पर 23 तत्कालीन सचिव, सरपंच एवं सप्लायर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 7 (ग) 13 (1) 13(2) पीसी एक्ट 1988 संशोधित अधिनिय 2018 एवं 420, 467, 468 एवं 120बी भादवि के तहत प्रकरण दर्ज किया है।आरोप है कि वर्ष 2016-17 से 2018-19 तक जनपद पंचायत अनूपपुर की 17 ग्राम पंचायतों में 19 पृथक-पृकि पुलिया निर्माण एवं 25 ग्राम पंचायतों में 78 नग हैण्डपंप उत्खनन एवं प्रतिस्थापन में कुल 2 करोड़ 32 लाख 66 हजार 805 रूपये का भ्रष्टाचार किया था।



जांच में हुई आरोप की पुष्टि

बताया गया है कि जांच में दौरान जनपद पंचायत अनूपपर की ग्राम पंचायत बाड़ीखार, रेउला, हरद, खोड़री-1, पोड़ी, जमुनिहा, बदरा, शिकारपुरा, भाद, मुड़धोबा, जार्दाटोला, डोला, डूमरकछार, देवगवां, में लगाये गये हैण्डपंप एवं पुलिया निर्माण के लिये किये गये कार्यों में 69 लाख 14 हजार 417 रूपये एवं ग्राम पंचायत धुरवासिन, टांकी, दैखल, फूलकोना, रेउन्दा,पयारी नं.2, छिल्पा, पिपरहा, आमाडाड, पड़ौर, तिरीपोड़ी में परफारमेंस ग्रान्ट फंड के अंतर्गत लगवाये हैण्ड पंपों एवं पुलिया निर्माण में 51 लाख 31 हजार 839 रूपये का भुगतान किया गया।



MP NEWS: जनपद पंचायत का अध्यक्ष रिश्वत लेते गिरफ्तार, लोकायुक्त की कार्रवाई 

इस तरह से कुल 1 करोड़ 20 लाख 46 हजार 256 रूपये का भुगतान नियम विरूद्ध तरीके से एक ही फर्म संचालक राजकुमार शुक्ला निवासी वार्ड क्रमांक 4 कोतमा जिला अनूपपुर को किया गया। जांच में यह भी पाया गया कि भुगतान में म.प्र. पंचायत (सामग्री तथा माल क्रय) नियम 1999 के नियम 3 एवं भण्डार क्रय एवं सेवा उपार्जन नियम 2015 का उल्लंघन किया गया है।लिहाजा उपरोक्त धारओं में प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।अभी यह भी अनुमान है कि कथित जनपद में अभी और भी भ्रष्टाचार का खुलासा होने की संभावना है।



जिनके खिलाफ प्रकरण दर्ज

जिन आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है उनमें सीताराम पनिका तत्कालीन संचिव  पार्वती पुरी तत्कालीन सरपंच ग्राम पंचायत देखल जनपद अनूपपुर, मैकू केवट, एवं चेतन सिंह ग्राम पंचायत धुरवासिन, लल्लूराम केवट एवं उमाबाई फुलकोना, जगदेव सिंह, एवं  सुशीला ग्राम पंचायत रेउन्दा, सुश्री पचायतों की यही है सुमन मांझी, एवं  बत्तूबाई सच्चाई पयारी नं.2, रामप्रमोद केवट एवं पुष्पराज सिंह टांकी, नीकराम एवं सुमीना पाव आमाडांड,रामखेलावन साहू एवं रूपा देवी बदरा, भीष्मदेव शर्मा एवं  मुन्नीबाई बाड़ीखार,बेसाहूलाल सिंह एवं  प्रेमवती भाद,कौशल केवल एवं कमला बाई सिंह, छिल्पा,निरंजन जायसवाल एवं स्वामीदीन पाव जर्राटोला, रजनीश शुक्ला एवं  गीता डूमरकछार, लक्ष्मी सिंह एवं ताराबाई जमुनिहा, विजय साहू एवं सुरेन्द्र सिंह हरद, भीष्मदेव शर्मा एवं भोला सिंह पोड़ी,खुमान सिंह एवं पूरन सिंह मुड़धोवा,रामसिंह एवं  पिंकी अगारिया पिपरहा, विजय गुप्ता एवं  दुलारी तितरीपोड़ी,भरतलाल पटेल एवं उमरभान सिंह शिकारपुर शारदा पाण्डेय एवं खेलनिया बाई ग्राम पंचायत रेउला सहित सप्लायर राजकुमार शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम एवं आईपीसी की धाराओं के तहत धोखाधड़ी के आरोप में प्रकरण दर्ज किया गया है।ग्रामीण विकास विभाग से विभिन्न योजनाओं के तहत पंचायतों को राशि जारी की जाती है।

APSU REWA : शोधार्थी विद्यार्थियों ने अकादमिक विभाग के कर्मचारियों पर अवैध रूप से पैसे मांगने का लगा आरोप



किन्तु वह खातों में पहुचने के बाद बंदबरबांट के माध्यम से स्वाहा हो
जिस तरह से लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज किया है वह वास्तव में पंचायतों की सच्चाई है।यदि पंचायतों में 15 साल में जारी राशि एवं पूर्ण अपूर्ण कार्यों का सत्यापन हो जाय तो पता चलेगा कि 25 प्रतिशत राशि भी नहीं खर्च हुई।कहीं सरपंच सचिवों में हजम कर लिया तो कहीं जीआरएस और उपयंत्री भी बंदरबांट में भागीदार हो गये। नीचे से ऊपर तक कमीशन का खेल चलता रहा।शिकायतों पर विभाग कभी प्रभावी कार्रवाई नही कर पाया।बल्कि बार-बार पुनर्जाचों के नाम पर भ्रष्टाचारियों को काम पूर्ण करने एवं कम से कम वसूली निकालने का खेल चलता रहा।यही कारण है कि पंचायत के चुनावों में सरपंची पाने के लिये लोग 15 से 20 लाख तक राशि खर्च करके चुनाव जीत रहे हैं।

MP NEWS : लाडली बहना योजना (Ladli Behna Yojana)में ईकेवाईसी (eKYC )करने के नाम पर पैसा वसूली करने वाला रोजगार सहायक गिरफ्तार



सामान्य व्यक्ति अब पंचायतों का सरपंच तक नहीं बन सकता।पंचायतों में लोकतांत्रिक मूल्यों का पतन हो रहा है जबकि भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है।यह स्थिति किसी एक जनपद व जिले की नही है बल्कि हर जिले में है।यही कारण है कि जिन पंचायतों में पचास लाख या एक करोड़ व्यय होने के बाद वहां की तस्वीर बदल सकती थी तो वहां कई करोड़ खर्च होने के बाद भी आज तक ढंग की सड़कें तक नहीं हैं।



Ladli Bahan Yojana 2023: रीवा सीधी के किन महिलाओं को नहीं होगा फायदा, जानिए क्या है वजह,

पानी की निकासी के लिये नालियां तक नहीं हैं। पीने के लिये पानी की व्यवस्था नहीं है। कई कार्यों में 25 प्रतिशत भी राशि वास्तविक रूप से व्यय नहीं हुई जबकि अभिलेखों में 90-95 प्रतिशत राशि व्यय होने के बाद ऐसे कार्य प्रगतिरत की सूची में दर्ज हैं। भारी संख्या में ऐसे कार्य हैं जहां कई वर्षो से सीसी जारी नहीं हुई, उन कार्यो का मूल्यांकन तक नहीं हो पाया अथवा फर्जी सीसी जारी कर पूर्णता दिखा दी गई।



REWA NEWS : ये है रीवा के बदमाश राहगीरों को बनाते है निशाना महिला का छीना पर्स



सप्लायरों व वेण्डरों का भी है.यहां बड़ी भूमिका

यह भी सही है कि ग्रामीण विकास विभाग में सप्लायरों व वेण्डरों का भी बड़ा गिरोह सक्रिय है।जहां ऐसे लोगों को काम देने के लिये करोड़ो के आदेश जारी हो जाते हैं।सामग्री खरीदी से लेकर सप्लाई तक के लिये कोई नियम नहीं देखे जाते।करोड़ों की सामग्री सप्लाई हो जाती है और उसका भुगतान चहेतों को कर दिया जाता है।किन्तु उन वेण्डरों व सप्लायरों के पास न तो अपनी कोई दुकान होती और न ही प्रतिष्ठान।ऐसी स्थिति में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि वेण्डरों व सप्लायरों का स्टाक कहा रखा जाता है, उनके द्वारा कहां से सामग्री की खरीदी की जाती है और कितना टैक्स दिया जाता है। सेल्स टैक्स एवं आयकर विभाग भी पंचायतों को छोटी इकाई समझ कर कोई कार्रवाई नहीं करता।जबकि देखा जाय तो प्रतिवर्ष पंचायतों में करोड़ो का खेल हो जाता है।

Rewa के नए SP बनाए गए विवेक सिंह (IPS) 



लोकायुक्त की एतिहासिक कार्रवाई बनेगी नजीर

यह भी सही है कि लोकायुक्त की इस कार्रवाई से एक बड़ा मैसेज भी समूचे प्रदेश व संभाग में जायेगा।क्योंकि अभी तक इस तरह से पंचायतों के खिलाफ एक साथ थोक में प्रकरण पंजीबद्ध करने की कार्रवाई पहले कभी नहीं हुई।इस कार्रवाई के बाद यह भी हो सकता है कि शिकायतकर्ता जो विभागीय स्तर पर शिकायतें करने के बाद परेशान हो चुके हैं वे पंचायतों के थोक के प्रकरण लेकर अब लोकायुक्त तक पहुचें और प्रमाण के साथ जानकारी देकर भ्रष्टाचारियो के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाये।



यदि ऐसा होता है तो पंचायतों का भ्रष्टाचार कम हो सकता है। फिर कोई भी व्यक्ति 20 लाख रूपये खर्च करके चुनाव लड़ने की कोशिश नहीं कर सकेगा। फिर शासन की योजनाओं में बिना कार्य राशि हजम करने की हिम्मत कोई भी सरपंच सचिव नही कर सकता। हालात यह भी है कि एक सरकारी कर्मचारी जो दूसरे विभागों में काम करता है वह एक दोपहिया खरीद नहीं पाता जबकि पंचायत सचिवों की आर्थिक आमदनी बड़ी तेजी के साथ बढती है। उनके पास चार पहिया से लेकर कई प्लाट, मकान शहरों में भूखण्ड एवं मकान आदि सब कुछ चंद सालों में ही हो जाता है। क्योंकि पंचायत का सचिव भी सरपंच के साथ आधे आध का हिस्सेदार बनकर भ्रष्टाचार में सहभागी बनता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *