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अफसरों के चरण चुम्बन, चाटुकारिता कर कुछ दलाल पत्रकार कर रहे पत्रकारिता का सत्यानाश अफसरों के चरण चुम्बन, चाटुकारिता कर कुछ दलाल पत्रकार कर रहे पत्रकारिता का कर रहे सत्यानाश । पेशेवर व धन्धे-बाज पत्रकार, जिसे जहां से कुछ प्राप्ति संभव होती हो, उसी के चरण चुंबन व चाटुकारिता में नतमस्तक रहते हैं। ऐसे दलाल पत्रकार विभिन्न सरकारी व प्रशासनिक अधिकारियों के अफसरों के चरण चुम्बन, चाटुकारिता कर कुछ दलाल पत्रकार कर रहे पत्रकारिता का कर रहे सत्यानाश ।
पेशेवर व धन्धे-बाज पत्रकार, जिसे जहां से कुछ प्राप्ति संभव होती हो, उसी के चरण चुंबन व चाटुकारिता में नतमस्तक रहते हैं। ऐसे दलाल पत्रकार विभिन्न सरकारी व प्रशासनिक अधिकारियों के तलवे चाटते, दलाली करते, पुलिस स्टेशनों व राजनेताओं के यहां तक देखे जा सकते हैं । वे खुद को असली बाकी अच्छे पत्रकारों को फर्जी तक का लेबल देने में भी नहीं चूकते हैं।
बताते चलें कि पत्रकारिता पैसा या व्यवसाय नहीं, बल्कि एक मिशन है। इज्जत और कार्यवाही पत्रकार की बुलंद कलम करवाती है। पत्रकारिता का चर्चा, पत्रकारों की चर्चा, विशेषकर आज कोई सम्मानित कर रहा है ,तो कोई अपमानित भी कर रहा है। यह भी बता दें कि कुछ पत्रकार या तो पुण्य धर्म कर रहे हैं तो कुछ पत्रकार घोर अपराध भी कर रहे हैं।
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आज के वक्त में किसी ईमानदार व सच्चे पत्रकार की कलम चलाना बेहद दुखद है। एक पत्रकार के परिभाषा बड़ी व्यापक होती है। जिसे व्यक्त करना या परिभाषा के दायरे में बांधना लगभग नामुमकिन सा है। आज पत्रकारिता का वह दौर नहीं है ।जब लोगों के लेखनी से क्रांति की ज्वाला फूटती थी।
पहले जहां गरीबी से जमीनी, मिट्टी से कलम निकलकर चलती और सच को बयां करने में अंग्रेजी हुकूमत से सीधी टकराती ,कलंक व जमीन देश, अपनी मिट्टी, मातृभूमि के लिए समर्पित कलम चलाने वाले वे पत्रकार जो कभी किसी सम्मान, पुरस्कार, वेतन, पारिश्रमिक या प्राप्ति की आकांक्षा व इच्छा न रखकर केवल अपना काम करते हैं। केवल सच बोलते हैं ।
सच लिखते हैं ,उनको लेखन में ईमानदारी रहती है। उनके कलम के जादू से अफसरों की कमर टूटती है। और वह सारे लोग सभी लालचों से दूर अपना काम करते हैं। सच्चे पत्रकार वेव पोर्टल पर सच्चा- झूठा वीडियो दिखलाकर चाटुकारिता व पैसे का लोभ नहीं करते हैं। कुछ तथाकथित पत्रकार सरकारी कार्यालयों से प्रमुखता से खबरें चलाकर भ्रष्टाचार की हदें पार कर जाते हैं।
यह भी बताते चलें कि आज का पाठक व दर्शक बहुत आसानी से यह पहचान लेता है, कि कौन सा पत्रकार या वेब चैनल किस लालच में कलम या जुबान से समाचार लिखता या बोलता है। कुल मिलाकर सब पत्रकारों की हालत और औकात एक बराबर नहीं है। कई पत्रकारों की उम्र गुजर गई लेकिन आज भी वे फकीर के लकीर हैं। क्योंकि उनके पास आला अफसरों की चापलूसी करने के लिए उनकी कलम में स्याही नहीं है।