रीवा संभाग के 4 सौ गावों में 5108 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती के लिए 9549 किसानों ने कराया पंजीयन.
रीवा में 3513, सीधी में 1284, सिंगरौली में 2505 तथा सतना जिले में 2247 किसानों ने कराया पंजीयन.
रीवा संभाग में खेती के विकास के साथ-साथ खेती के विविधीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। संभाग के चारों जिलों में मुख्य रूप से गेंहू और धान की फसल ली जाती है। इनका रकवा अधिकांश जिलों में 80 प्रतिशत से अधिक है। किसानों को धान और गेंहू के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों विशेषकर मोटा अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ-साथ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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प्राकृतिक खेती के लिए संभाग में कुल चार सौ गांवों में 9549 किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन कराया है। इनके द्वारा पाँच हजार 108 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन किया गया है। पंजीयन कराने वाले किसान प्राकृतिक खेती के रूप में मुख्य रूप से कोदौ, ज्वार, मक्का, उड़द, मूंग, तिल, तुअर तथा बाजरे की फसल लेंगे।
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इससे खेती के विविधीकरण के साथ-साथ प्राकृतिक खेती के उद्देश्य पूरे होंगे। संभाग में प्राकृतिक खेती के लिए रीवा जिले में 3513, सीधी जिले में 1284, सिंगरौली जिले में 2505 तथा सतना जिले में 2247 किसानों ने पंजीयन कराया है। इन्हें आवश्यक बीजों की उपलब्धता के साथ-साथ आवश्यक मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण दिया जा रहा है।