Jabalpur: भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो संविधान के नियमों से चलता है संविधान में किसी व्यक्ति के साथ अन्याय ना हो इसके लिए कुछ ना कुछ कानून बनाए गए जिसका देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पालन करना होता है। जबलपुर कोर्ट में अग्रिम ज़मानत को लेकर चल रही है बहस।
अग्रिम जमानत क्या है?
अग्रिम ज़मानत जिसको अंग्रेजी में anticipatory bail कहते है।अग्रिम जमानत भी अन्य सभी जमानतो की तरह है परंतु यह जमानत कोर्ट से व्यक्ति की गिरफ्तारी होने से पहले ही प्राप्त हो जाती है इसके अलावा सभी जमानत व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद प्राप्त होती है
यह जमानत एक अस्थाई स्वतंत्रता के रूप में होती है आरोपों की गंभीरता को देखने के बाद सच्चाई का पता लग जाने के बाद न्यायाधीश जमानत या अग्रिम जमानत मंजूर कर लेते हैं।
यह जमानत एक ऐसी जमानत है जिसमें व्यक्ति का अपराध जब तक पूरी तरह से सिद्ध नहीं हो पाता तब तक व्यक्ति जमानत पर रिहा रहता है
क्या कहते हैं नियम
भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के अंतर्गत अग्रिम जमानत देने का प्रावधान बनाया गया है इस धारा में सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जो पूर्ण रूप से अपराध का हिस्सा नहीं होते हैं और उन्हें उस अपराध में फसाया जाता है आवेदन कर के व्यक्ति अग्रिम जमानत मंजूर करवा सकते हैं।
साथ ही व्यक्ति को जमानती शुल्क 10000 तक जमा करने का आदेश दिया जाता है जो शुल्क व्यक्ति द्वारा कोर्ट में जमा करवाया जाता है।
कब कर सकते है आवेदन
किसी भी आपराधिक मामले में पुलिस के द्वारा गिरफ्तारी की शंका होने पर व्यक्ति गिरफ्तारी के पूर्व भी अग्रिम जमानत हेतु आवेदन करने का अधिकार रखता है अगर कोर्ट की ओर से वह व्यक्ति अग्रिम जमानत प्राप्त करने में कामयाब हो जाता है तो उस व्यक्ति की जमानत के अनुसार गिरफ्तारी नहीं हो सकती।
इसके अलावा कुछ लोग व्यक्तिगत रंजिश में किसी व्यक्ति को फंसाकर अपराधी होने का दावा पेश करते हैं यानी कि झूठे मामले में फंसाने की कोशिश करते हैं तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति अग्रिम जमानत हेतु आवेदन करने का हकदार होता है और अग्रिम जमानत लेकर खुद को सुरक्षित कर सकता है।