रीवा में फैली अनजान बीमारी, सूखते जा रहे लोग, एक एक कर पांच लोगों को जकड़ा,हड्डियों का ढांचा बन गया शरीर

रीवा के त्योंथर में पांच सदस्य झेल रहे दर्द, दिल्ली एम्स में रिसर्च के बाद मस्क्युलर डिस्ट्रोफी से जुड़ा रोग, बताया गया जर्मनी में होता है इलाज, परिवार सरकार से मांग रहा मदद,एमपी के रीवा में एक अनजान बीमारी से लोग दहशत में आ गए हैं। इस बीमारी के कारण लोग सूख रहे हैं, हाल ये है कि इससे ग्रसित लोग हड्डियों का ढांचा बनकर रह गए हैं। इस बीमारी ने एक एक कर कई लोगों को जकड़ लिया है।



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इस बीमारी से ग्रसित ये सभी लोग वैसे तो सामान्य से दिखते हैं, खूब हंसते-बोलते हैं लेकिन इनके दिलों का दर्द ये ही जानते हैं। बताया यह भी जा रहा है कि इस बीमारी का इलाज बेहद मुश्किल है, केवल जर्मनी में ही इस बीमारी का इलाज संभव है। सामान्य परिवार के मरीजों के परिजन अब इलाज के लिए सरकार से मदद की दरकार कर रहे हैं।



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रीवा जिले के त्योंथर में यह अनजान बीमारी पसर रही हैैं। त्योंथर के एक परिवार के ही पांच सदस्य इस बीमारी का दर्द झेल रहे हैं। मालूम चला है कि दिल्ली एम्स में इस बीमारी के बारे में रिसर्च की गई, एम्स में रिसर्च के बाद इसे मस्क्युलर डिस्ट्रोफी से जुड़ा रोग बताया गया है। यह भी बताया गया है कि इस रोग का इलाज जर्मनी में होता है जिसके कारण बीमारी से ग्रसित मरीजों का परिवार उनके इलाज के लिए सरकार से मदद मांग रहा है।



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जिले के त्योंथर के रहनेवाले रामनरेश के परिवार के सदस्य इस अनजान बीमारी का दर्द झेल रहे हैं। एक के बाद एक कर इस परिवार के पांच सदस्य मस्क्युलर डिस्ट्रोफी से जुड़े इस रोग से ग्रसित हो गए। इनकी दिनचर्या तो सामान्य व्यक्ति की तरह है। ये बराबर खाना खाते हैं और आम लोगों जैसे पानी पीते हैं। स्वस्थ व्यक्ति की तरह हंसते.बोलते भी हैं पर इनका शरीर लगातार सूखता जा रहा है। धीरे.धीरे ये शारीरिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं।



खास बात यह है कि इस बीमारी के कारण मरीजों को अन्य कोई विशेष दिक्कत नहीं होती। इनका जीवन अभी भी आम लोगों की तरह ही गुजर रहा है लेकिन बीमारी से पसरी कमजोरी और इसका भय मरीजों को धीरे धीरे निराशा के गर्त में धकेलता जा रहा है। सभी पांच मरीज मानों हड्डियों का ढांचा बनकर रह गए हैं। बीमारी के कारण मरीज कोई काम करने की स्थिति में भी नहीं हैं, हालांकि युवा लोग कुछ काम करते रहते हैं। गांव के लोग और उनके परिजन इस बीमारी से मुक्ति चाहते हैं और इसके इलाज के लिए सरकारी मदद की बात कह रहे हैं।

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