भारत जोड़ो यात्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया एक जन आंदोलन है। जिसका उद्देश्य नई दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कथित विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ देश को एकजुट करना है। इसे कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन द्वारा 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी में लॉन्च किया गया था।इसे मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, राजनीतिक केंद्रीकरण और विशेष रूप से “भय, कट्टरता” की राजनीति और “नफरत” के खिलाफ लड़ने के लिए बनाया गया था।
राहुल गांधी को कितनी सफलता मिली
भारत जोड़ो यात्रा की चर्चा इसलिए जरूरी है, क्योंकि राहुल गांधी के बारे में कांग्रेस प्रचार कर रही है कि यात्रा से आम जनता, पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी छवि बदली है। उन्हें राजनीति में अगंभीर, नौसिखिया या कुछ बताने वाले गलत साबित हुए हैं।उन्होंने अब तक की अपनी यात्रा में एक दृढ़ संकल्पित और समर्पित नेता की छवि बनाई है, यात्रा में उन्होंने लोगों से प्रत्यक्ष मुलाकात की है और जमीनी हकीकत को प्रत्यक्ष देखा समझा है।
इससे भारत की वास्तविकता की उनकी समझ गहरी हुई है और वह उसे अभिव्यक्त कर रहे हैं,ऐसे में विचार करना आवश्यक है कि क्या भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी का रूपांतर हो गया है। गुजरात के दोनों भाषणों को सुनने वाले क्या इसे स्वीकार करेंगे कि उनमें बदले हुए राहुल नजर आए??
इसमें दो राय नहीं है कि राहुल ने अब तक की यात्रा में चेहरे पर शिकन नहीं आने दी वह हर दिन और 36 किमी चल रहे हैं फिर भी तरोताजा दिख रहे हैं। इसे आत्मानुशासन,लक्ष्य के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया जा सकता है, उनके समर्थकों के अंदर उनका सम्मान भी बड़ा होगा।
अभी तक जिन राज्यों में वह गए वहां अंतर कलह से जूझ रही कांग्रेस कम से कम उन इलाकों में एकजुट रहे जहां से वह गुजरे रहें हैं। नेता और कार्यकर्ताओं को भी अपने नेता को निकट से गुजरते देख सुखद एहसास हुआ होगा,इन सब के अंदर उत्साह और स्थिति उत्पन्न हुई होगी।
भाजपा संघ और नरेंद्र मोदी सरीखे विरोधियों को भी लगा होगा कि कांग्रेस में अभी उम्मीद बाकी है, लंबे समय बाद कांग्रेसी कोई व्यवस्थित कार्यक्रम कर पा रही है, यात्रा को डिजिटल और इंटरनेट मीडिया विभाग बिल्कुल सधे हुए तरीके से प्रस्तुत कर रहा है। शब्दों के संयोजन गाने, संगीत, तस्वीरें और वीडियो सब के पीछे पेशेवर तैयारी साफ दिखती है।कह सकते हैं कि गांधी परिवार के सलाहकारों और रणनीतिकारों ने यात्रा की प्रभावी प्रस्तुति के लिए कड़ा परिश्रम किया है।
भारत जोड़ो यात्रा की असफलता
भारत जोड़ो यात्रा की असफलता की बात करें तो आपसी कलह बारम्बार जगजाहिर हो रही हैं। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट में एक दूसरे पर तंज जारी हैं। यात्रा की दो-तिहाई की समाप्ति के बाद कहीं भी कांग्रेस के पक्ष में जनसमर्थन के व्यापक विस्तार का संकेत नहीं मिल रहा है। केरल में उनके निकलने के बाद अंतर्कलह सतह पर आ गई, तमिलनाडु में आपसी संघर्ष इतना बड़ा कि नेताओं का एक समूह दिल्ली आकर अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे से मिला। कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीसी कुमार के बीच जो शांति दिख रही है, वह कब तक कायम रहेगी कहना मुश्किल है।
तमिलनाडु में एक ऐसे व्यक्ति जिसने कहा कि मैं जूता इसलिए पहनता हूं ताकि भारत कि अपवित्र मिट्टी पैर में ना लगें,महाराष्ट्र में मेधा पाटेकर के साथ यात्रा करके उन्होंने नर्मदा बांध मुद्दे पर भाजपा को गुजरात में अवसर दे दिया हैं।
यात्रा के दौरान निशाने पर कौन
इस यात्रा में राहुल गांधी ने मुख्यतः भाजपा संघ हिंदुत्व विचारधारा और नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया है। दक्षिण के राज्यों में कर्नाटक को छोड़कर भाजपा कहीं भी शक्तिशाली नहीं है वह तेलंगाना और तमिलनाडु में अवश्य कोशिश कर रही है। उसमें भी उन्होंने भाजपा और संघ के विरुद्ध वही बात कही जो पहले से बोले जा रहे हैं।
यात्रा के आरंभ से दिख रहा था कि इसके पीछे उन सभी गैर दलीय समूह की सोच और ताकत है।जो मोदी सरकार के विरुद्ध देशव्यापी वातावरण बनाकर 2024 में उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकने का सपना सजाएं हैं। एनजीओ, एक्टिविस्ट, थिंकटैंक सर्विस संस्थाएं आदि शामिल है,इनका संघ भाजपा और मोदी विरोध पहले से जाहिर है और पूरी क्षमता लगाकर भी यह भाजपा की चुनावी संभावनाओं को अभी खत्म नहीं कर सके हैं।
राहुल गांधी का इनके साथ कदमताल करना ही बताता है कांग्रेस भारत की बदली हुई राजनीति और जनता के बदले मनोविज्ञान को समझ नहीं पा रही है। वैसे भी अगर संगठन नहीं तो यात्रा से जो भी कुछ बहुत माहौल बनेगा। उसे सशक्त कर चुनावी लाभ में बदला नहीं जा सकता, यात्रा के उपरांत की योजना कांग्रेस के पास नहीं है अगर इन सब के संग भाजपा और मोदी विरोधी एनजीओ एक्टिविस्ट मिलाकर कोई आंदोलन कर भी लें तो इससे कांग्रेस को क्या लाभ होगा??
राहुल के भाषण शैली में परिवर्तन
राहुल गांधी ने एक संबोधन में कहा कि वो आरएसएस,भाजपा और मोदी जी का विरोध तो करते हैं पर कभी भी उनके दिल में उनके लिए नफरत नही है।”प्यार करने वाले कभी डरते नहीं हैं और डरने वालें कभी प्यार नही करते”।