नई रिंग रोड का प्रस्ताव मुख्यालय पहुंचा, चुनाव से पहले मंजूरी
इंदौर (Indore)। शहर के चारों तरफ नई रिंग रोड (new ring road) बनाने का प्रस्ताव नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने औपचारिक रूप से भोपाल स्थित प्रदेश मुख्यालय को भेज दिया है। वहां से यह नई दिल्ली स्थित सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इंदौर के इस अहम प्रोजेक्ट को दो-तीन महीनों में मंजूरी मिल सकती है। इंदौर की नई रिंग रोड बनाने की लागत करीब 6000 करोड़ रुपए आंकी गई है।
इंदौर की नई रिंग रोड के लिए एनएचएआई ने तीन विकल्प सुझाए हैं। इनमें पहला प्रस्ताव 139, दूसरा 145 और तीसरा प्रस्ताव 161 किलोमीटर लंबी रिंग रोड बनाने का है। स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों के साथ तीनों प्रस्तावों का अनुमोदन होने के बाद से प्रस्ताव को मुख्यालय भेजने की तैयारी हो रही थी।
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आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि नए नियमों के तहत मुख्यालय को तीन प्रस्ताव बनाकर भेजना पड़ते हैं। अब मुख्यालय के अफसर तीनों में से सबसे अच्छा विकल्प चुनकर इंदौर की नई रिंग रोड का अलाइनमेंट तय करेंगे। जरूरी मंजूरियां मिलने के बाद सबसे कठिन काम रिंग रोड के लिए जमीन लेने का है। प्रदेश सरकार ने केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को कुल जमीन में से 25 प्रतिशत जमीन मुफ्त देने का ऐलान किया है। अब इसी प्रस्ताव पर मंत्रालय में मंथन होना है, क्योंकि मंत्रालय ने रिंग रोड के लिए 100 प्रतिशत जमीन मुफ्त मांगी थी और रोड बनाने की सैद्धांतिक सहमति दी थी।
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मंजूरी की संभावना प्रबल
इसी साल प्रदेश में विधानसभा और फिर अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होना हैं। इसे देखते हुए पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार प्रदेश सरकार के फॉर्मूले को स्वीकार करते हुए इंदौर की नई रिंग रोड का प्रस्ताव स्वीकार करे। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान खुद भी इस प्रोजेक्ट में रुचि ले रहे हैं और पीथमपुर में बनाए जा रहे मल्टीमॉडल हब की कनेक्टिविटी के लिए भी नई रिंग रोड जरूरी है। यह रोड इंदौर से गुजरने वाले सभी नेशनल हाईवे को बाहर ही बाहर आपस में जोड़ देगी।