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मुख्यमंत्री शिवराज का डिंडोरी दौरा

अगले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होना हैं इसी के मद्देनज़र मुख्यमंत्री  जिला – जिला चुनाव प्रचार कर रहे हैं और इसी कड़ी में डिंडोरी चुनावी जन शाभा को सम्बोधित करने गए थे जहाँ एक बच्चे को पेसा नाम दे दिया।

कुछ हफ्ते पहले ही हुआ हैं जन्म

जिस बच्चे को शिवराज सिंह नें पेसा नाम दिया हैं उसका हाल ही में जन्म हुआ हैं जो ट्रम्बकेशव का पुत्र,गुरैया गांव,शाहपुरा ब्लॉक,डिंडोरी का निवासी हैं।

 

 

आदिवासीयों को लुभाने की हो रही राजनीति

जब से राष्ट्रपति का चुनाव हुआ हैं तब से  आदिवासीयों को लुभाने की राजनीती चरम पर हैं, अब इन नेताओं को आदिवासी महापुरुष याद रहे हैं. किसी दिन बिरसा मुंडा, तो किसी दिन टंट्या भील……

इसी कड़ी में आदिवासियों के हक़ लिए बना कानून पेसा का प्रचार प्रसार किया जा रहा हैं।

यदि ये कानून इतना अच्छा ही था तो मामा नें इतनी देर क्यू कर दी,1996 में बना ये कानून आज जाकर लागु हो रहा और मामा पेसा कानून पढ़ाते हैं इस समय जबकि उनकी सरकार 2003 से हैं।

 

क्या हैं पेसा कानून

पेसा अधिनियम 1996 में “पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिये” अधिनियमित किया गया था।

  प्रमुख प्रावधान 

    • इस अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्र वे हैं जिन्हें अनुच्छेद 244 (1) में संदर्भित किया गया है, जिसके अनुसार पाँचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे।
    • पाँचवीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधानों की श्रृंखला प्रदान करती है।
    • दस राज्यों- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है जो इन राज्यों में से प्रत्येक में कई ज़िलों (आंशिक या पूरी तरह से) को कवर करते हैं।
  • उद्देश्य:
    • अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना।
    • यह कानूनी रूप से आदिवासी समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के अधिकार को स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से स्वयं को शासित करने के अधिकार को मान्यता देता है। यह प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है।
    • ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं को मंज़ूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है।

पेसा अधिनियम में ग्राम सभा का महत्त्व:

  • लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण: पेसा ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की मंज़ूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है। इस प्रबंधन में निम्नलिखित शामिल है:
    • जल, जंगल, ज़मीन पर संसाधन।
    • लघु वनोत्पाद
    • मानव संसाधन: प्रक्रियाएँ और कार्मिक जो नीतियों को लागू करते हैं।
    • स्थानीय बाज़ारों का प्रबंधन।
    • भूमि अलगाव को रोकना।
    • नशीले पदार्थों को नियंत्रित करना।
  • पहचान का संरक्षण: ग्राम सभाओं की शक्तियों में सांस्कृतिक पहचान और परंपरा का रखरखाव, आदिवासियों को प्रभावित करने वाली योजनाओं पर नियंत्रण एवं एक गाँव के क्षेत्र के भीतर प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण शामिल है।
  • संघर्षों का समाधान: इस प्रकार पेसा अधिनियम ग्राम सभाओं को बाहरी या आंतरिक संघर्षों के खिलाफ अपने अधिकारों तथा परिवेश के सुरक्षा तंत्र को बनाए रखने में सक्षम बनाता है।
  • पब्लिक वॉचडॉग: ग्राम सभा को अपने गाँव की सीमा के भीतर नशीले पदार्थों के निर्माण, परिवहन, बिक्री और खपत की निगरानी तथा निषेध करने की शक्तियाँ प्राप्त होंगी।

पेसा से संबंधित मुद्दे:

  • आंशिक कार्यान्वयन: राज्य सरकारों को इस राष्ट्रीय कानून के अनुरूप अपने अनुसूचित क्षेत्रों के लिये राज्य कानूनों को अधिनियमित करना चाहिये।
    • इसके परिणामस्वरूप पेसा आंशिक रूप से कार्यान्वित हुआ है।
    • आंशिक कार्यान्वयन ने आदिवासी क्षेत्रों, जैसे- झारखंड में स्वशासन को विकृत कर दिया है।
  • प्रशासनिक बाधाएँ: कई विशेषज्ञों ने दावा किया है कि पेसा स्पष्टता की कमी, कानूनी दुर्बलता, नौकरशाही उदासीनता, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, सत्ता के पदानुक्रम में परिवर्तन के प्रतिरोध आदि के कारण सफल नहीं हुआ।
  • वास्तविकता के स्थान पर कागज़ी अनुसरण: राज्य भर में किये गए सोशल ऑडिट में यह भी बताया गया है कि वास्तव में विभिन्न विकास योजनाओं को ग्राम सभा द्वारा केवल कागज़ पर अनुमोदित किया जा रहा था, वास्तव में चर्चा और निर्णय लेने के लिये कोई बैठक नहीं हुई थी।

 

 

लालू यादव का किया नक़ल

सबको पता हैं लालू यादव की एक बेटी का नाम मीसा भारती हैं और नाम के पीछे की वजह हैं मीसा कानून, आपतकाल के दौरान जब लालू मीसा कानून के तहत गिरफ्तार हुए तब उनकी बेटी का जन्म हुए इसलिए उसी की याद में मीसा भारती नाम रखा दिया।

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