एशियाई मुस्लिमों में जाति व्यवस्था उसी तरह लागू है, जिस तरह भारतीय समाज में।भारत में रहने वाले मुस्लिमों में 15 फीसदी उच्च वर्ग या सवर्ण माने जाते हैं, जिन्हें अशरफ कहते हैं। लेकिन इसके अलावा बाकि बचे 85 फीसदी अरजाल और अज़लाफ़ दलित और बैकवर्ड ही माने जाते हैं।इनकी हालत मुस्लिम समाज में बहुत अच्छी नहीं है,मुस्लिम समाज का क्रीमी तबका उन्हें हेय दृष्टि से देखता है। वो आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक हर तरह से पिछड़े और दबे हुए हैं, इस तबके को भारत में पसमांदा मुस्लिम कहा जाता है।
पसमांदा का मतलब क्या है?
पसमांदा मूल तौर पर फारसी का शब्द है, जिसका मतलब होता है, वो लोग जो पीछे छूट गए हैं, दबाए गए या सताए हुए हैं।दरअसल भारत में पसमांदा आंदोलन 100 साल पुराना है,पिछली सदी के दूसरे दशक में एक मुस्लिम पसमांदा आंदोलन खड़ा हुआ था। इसके बाद भारत में 90 के दशक में फिर पसमांदा मुसलमानों के हक में दो बड़े संगठन खड़े किए गए थे। ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा,जिसके नेता एजाज अली थे।इसके अलावा पटना के अली अनवर ने ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महज नाम का संगठन खड़ा किया। ये दोनों संगठन देशभर में पसमांदामुस्लिमों के तमाम छोटे संगठनों की अगुआई करते हैं। हालांकि कि दोनों को ही मुस्लिम धार्मिक नेता गैर इस्लामी करार देते हैं, पसमांदा मुस्लिमों के तमाम छोटे संगठन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में ज्यादा मिल जाएंगे।।
मुस्लिम वर्ण व्यवस्था किन तीन मुख्य वर्गों में बंटी है?
कहा जा सकता है कि भारतीय मुस्लिम भी जाति आधारित व्यवस्था के शिकार हैं।वो आमतौर पर तीन मुख्य वर्गो और सैकड़ों बिरादरियों में बंटे हुए हैं,जो सवर्ण या उच्च जाति के मुस्लिम हैं वो अशरफ कहे जाते हैं जिनका ओरिजिन पश्चिम या मध्य एशिया से है।इसमें सैयद, शेख, मुगल, पठान आदि लोग आते हैं और भारत में जिन सवर्ण जातियों से लोग मुस्लिम बने, उन्हें भी उच्च वर्ग में शुमार किया जाता है।इन्हें आज भी मुस्लिम राजपूत, तागा या त्यागी मुस्लिम, चौधरी या चौधरी मुस्लिम, ग्रहे या गौर मुस्लिम, सैयद ब्राह्णण के तौर पर जाने जाते हैं। उन्हें हिंदुओं की तरह मुस्लिम ब्राह्मण माना जाता है।
क्या हैं भाजपा की रणनीति?
सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के नारे को लेकर अब भाजपा तीन तलाक,आवास,बिजली और मुफ्त राशन जैसे मुद्दों को पसमांदा मुस्लिम समाज के बीच जाकर भुनाना चाहती हैं और उनके बीच भी एक वोटबैंक बनाना चाहती हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए सामाजिक समीकरण ढूंढने के साथ पसमांदा मुस्लिमों पर फोकस करने की जरूरत पर जोर दिया है, इसी कड़ी में यूपी में पसमांदा समाज से दानिश आजाद को मंत्री भी बनाया है और हर बहुतायत मुस्लिम क्षेत्रों में लाभार्थियों से संपर्क साधा जा रहा है ।राम माधव ने कहा कि पसमांदा और वंचितों के लिए सैकड़ों योजना चल रही हैं। इसका लाभ सिर्फ 15-20 प्रतिशत ही उठा पा रहें हैं। मुसलमानों की 75 प्रतिशत आबादी गरीब और पसमांदा हैं,लेकिन उन्हें प्रतिनिधित्व नही मिल पाता। कानूनी प्रक्रिया द्वारा भी वो आवाज नही उठा पातें,आज जब आवाज उठ रही है तो कल परिवर्तन भी आएगा।