रीवा का फिर नाम हुआ रोशन मिला जी आई टैग

विदित है की रीवा के इतिहास के बारे में चर्चा हो और सुन्दरजा आम का नाम ना हो संभव ही नहीं, पिछले कई वर्षो से प्रसिद्ध आम की नस्ल सुन्दरजा को मिला जी आई टैग।





 

वर्षो का इंतजार हुआ ख़त्म

कई वर्षो से चर्चा चल रही थी की विंध्य की धरती के प्रसिद्ध इस फल की ओर सरकार ध्यान दें साथ ही इस फल के पेड़ का वृक्षारोपण लाखो की तादात में करवाये जिससे आम का उत्पादन तो बढ़े ही साथ में जलवायु परिवर्तन के नुकसान को भी काम करने में सहायक हो।



मध्य प्रदेश को दो जी आई टैग मिले

आपको बता दें ना केवल रीवा के सुन्दरजा आम को जी आई टैग मिला है बल्कि मुरैना के गजक को भी मिला है जी आई टैग, जो की वहाँ की प्रसिद्ध मिठाई है।



विंध्य क्षेत्र के रीवा जिले में गोविंदगढ़ तथा उसके आसपास प्रमुख रूप से पैदा होने वाली सुंदरजा आम की किस्म को जीआई टैगिंग प्रदान की गई है। इसके लिए पिछले 2 वर्षों से लगातार प्रयास किए जा रहे थे। अब सुंदरजा आम विंध्य की पहचान बनकर पूरी दुनिया में जाना जाएगा। इस संबंध में कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया कि विंध्य क्षेत्र में बाणसागर की नहरों के कारण खेती में अभूतपूर्व विकास हुआ है। अनाजों की खेती के साथ-साथ उद्यानकी फसलों की तरफ भी किसान आकर्षित हुए हैं।



जिले में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की प्रबल संभावना को देखते हुए सब्जी तथा फल उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सुंदरजा रीवा जिले में पाया जाने वाला विशिष्ट किस्म का आम है, इसका स्वाद सुगंध आम की सभी किस्मों से बेहतर है। यह सीमित क्षेत्र में पाया जाता है लेकिन इसकी पहचान विशिष्ट है। सुंदरजा आम को रीवा जिले की एक जिला एक उत्पाद योजना में भी शामिल किया गया है।



सुंदरजा की विशिष्ट पहचान को जीआई टैग मिलने पर आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है। अब सुंदरजा आम रीवा और पूरे विंध्य की पहचान बनकर दुनिया में जाना जाएगा। सुंदरजा आम की खेती और मार्केटिंग के लिए भी कई प्रयास किए गए हैं। परंपरागत रूप से सुंदरजा की उपज लेने वाले किसान इसकी ऑनलाइन बिक्री भी कर रहे हैं। सुंदरजा आम के क्षेत्र विस्तार के लिए भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, इसकी बड़े पैमाने पर खेती होने पर यह विंध्य के किसानों के लिए वरदान साबित होगा।

इस बात की जानकारी व्यापार एवं उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने अपने ट्विटर हैंडल में साझा की…..



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