भोपाल। तीन महीने बाद मध्‍य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की अंतिम जमावट में जुटी भाजपा ने क्षेत्रीय कद्दावर नेताओं को आगे करके चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है। जो नेता जिस क्षेत्र से आता है, उसकी लोकप्रियता को उसी क्षेत्र में भुनाया जाएगा। कह सकते हैं कि चुनावी मोर्चे पर अग्रिम योद्धा क्षेत्रीय क्षत्रप ही रहेंगे।

तोमर, सिंध‍िया और आर्य को जिम्‍मेदारी
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को ग्वालियर-चंबल अंचल में सक्रिय किया गया है। भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मालवांचल में मैदानी जमावट करेंगे, तो महाकोशल में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह मोर्चा संभालेंगे। विंध्य अंचल की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी विधायक राजेंद्र शुक्ल को दी गई है। बुंदेलखंड को केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार संभालेंगे, जबकि मध्य भारत क्षेत्र में मैदानी जमावट के साथ मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश में दौरे करेंगे।

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ग्वालियर-चंबल को पार्टी मान रही बड़ी चुनौती
भाजपा बड़ी चुनौती ग्वालियर-चंबल अंचल को मान रही है। वर्ष 2018 के चुनाव में इस अंचल की 34 में से भाजपा को केवल सात सीटें मिली थीं। जबकि 27 सीटें कांग्रेस ने जीतीं थीं। यह तस्वीर 2013 के चुनाव से एकदम अलग थी। तब भाजपा को 20 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं। भाजपा की सीटों में कमी की मुख्य वजह एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन को लेकर हुए आंदोलन के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे के जादू को भी माना गया।

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