Lok Sabha Elections : भाजपा ने फिर सांसद जनार्दन मिश्रा पर जताया भरोसा, जानिए क्या होंगी चुनौतियां
रीवा लोकसभा के लिए घोषित किया उम्मीदवार, गौरव तिवारी व प्रज्ञा त्रिपाठी का दावा हुआ फेल
रीवा. भारतीय जनता पार्टी ने आसन्न लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सांसद जर्नादन मिश्रा पर भरोसा जताया है। रीवा लोकसभा सीट से उनको पार्टी ने उम्मीदवार घोषित कर दिया है। टिकट की दावेदारी में रहे गौरव तिवारी एवं प्रज्ञा त्रिपाठी को अभी और इंतजार करना होगा। भाजपा की प्रदेश स्तरीय बैठक में मंथन के बाद पार्टी द्वारा यह निर्णय लिया गया है। हालांकि पूर्व से ही जनार्दन मिश्रा को ही मैदान में उतारने के कायस लगाए जा रहे थे, जो सच साबित हुए।
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अब टिकट मिलने के बाद सांसद मिश्रा को कई कड़ी चुनौतियां को सामना करना होगा। संसद में स्थानीय मुद्दे नहीं उठाने के साथ रीवा को स्मार्ट सिटी में शामिल नहीं करा पाए
शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रेल सेवा में कोई बड़ी उपलब्धि मिल पाई है कुछ हद तक । साथ ही गलत बयानबाजी का उनपर आरोप है, जिससे उन्हे निपटना होगा।
इस बार भी पार्टी का निर्णय
हालांकि इस संंबंध में जब सांसद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने २०१४ में भी टिकट नहीं मांगा था, पार्टी ने मुझे लड़ाने का निर्णय किया और मेरी जीत हुई। इस बार भी पार्टी का निर्णय है। बड़े नेताओं ने मेरे काम का मूल्यांकन किया और यह निर्णय लिया गया है तो मैं उसपर जरूर खरा उतरूंगा। क्योंकि भाजपा ने ही रीवा में विकास की शुरुआत की है और यहां के लोग विकास के क्रम को बनाए रखना चाहते हैं। और विकास ही हमारा मुद्दा है।
वहीं पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल का कहना है कि पार्टी ने जो प्रत्याशी चयन किया है उससे कार्यकर्ताओं में अति उत्साह है। भाजपा के प्रत्याशी कार्यकर्ताओं की मेहनत एवं बलपर रीवा संभाग में बड़ी जीत दर्ज कराएंगे।
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२०१४ में यह रही स्थिति
वर्ष २०१४ के लोकसभा चुनाव में रीवा लोकसभा सीट से कुल १४ प्रत्याशी थे। वर्तमान रीवा सांसद जर्नादन मिश्रा विजय हुए हैं। वर्ष २०१४ में १५४४७१९ मतदाता थे जिसमें ८१९३४४ वोट पड़े थे। जनार्दन मिश्रा(भाजपा) को ३८३३२० वोट और प्रतिद्वंदी रहे सुंदरलाल तिवारी (कांग्रेस) को २१४५९४ मत प्राप्त हुए थे। इस प्रकार बीजेपी ने १६८७२६ मतों के अंतर से कांग्र्रेस को हराया था। बसपा के देवराज पटेल को १७५५६७ वोट मिले थे। इस बार सांसद जर्नादन के लिए चुनाव उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि अब मोदी लहर का प्रभाव नहीं है।
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जातीय समीकरण साधना होगी चुनौती
रीवा लोकसभा का चुनाव अंत में जातीय समीकरण में उलझ जाता है। यहां ब्रह्मण व क्षत्री समाज का दबदबा रहा है। ब्राम्हण हर विधानसभा में सबसे अधिक संख्या में हैं। पिछड़ा वर्ग में पटेल (कुर्मी) दूसरे नंबर पर हैं। इसके अलावा क्षत्रीय भी कुछ क्षेत्रों में हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रीवा विधानसभा में वैश्य समाज सवा लाख से अधिक है और एक तरफ ही इनका झुकाव होता रहा है। वहीं सिंधी और बाहरी लोगों की भी प्रभावी भूमिका है।
रीवा संसदीय क्षेत्र में १६ लाख २७ हजार लगभग मतदाता हैं। जिनमें सबसे अधिक ब्रह्मण मतदाता ५ लाख के आसपास हैं। वहींं कुर्मी सवा दो लाख और क्षत्रीय मतदाता सवा एक लाख के करीब हैं। इसके अलावा अन्य पिछड़े एवं एससी, एसटी वर्ग के मतदाताओं का प्रभाव है, जिनको साधना सांसद के लिए इस बार कठिन चुनौती होगी।