REWA NEWS: मानवता को शर्मसार करने वाली रीवा की तश्वीर पिता के कंधे पर मासूम की धड़कने

रीवा: एक तरफ भाड़े के भीड़ में  प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तथा सैकड़ो की संख्या में जनप्रतिनिधि भाषणवाजी कर रहे थे ठीक उसी समय रीवा के एक हॉस्पिटल में एक बाप अपने बेटे के लिए आक्सीजन सिलेंडर सर में लिए घूम रहा था ना कोई स्ट्रेचर ना ही वार्ड बॉय वह रे मोदी सरकार।

रीवा : धरती हमारी माँ है इसे मारने का हक हमें नहीं है – pradhanmantri

गांधी मेमोरियल अस्पताल में अव्यवस्थाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। आए दिन प्रबंधन की लापरवाही के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। रविवार को जीएमएच की एक फोटो चर्चा का विषय बनी रही। जिसमें अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही की पोल खुल कर सामने आ गई। बता दें कि अस्पताल में वार्ड व्यॉय और स्टे्रचर नहीं मिलने से गंभीर रूप से बीमार नवजात को उसकी मां अपनी गोद में ले जाती नजर आई और उसे लगे हुए आक्सीजन के सिलेंडर का बोझ उसके पिता के कंधो पर रहा। बीमार नवजात के पिता ने उसे लगी आक्सीजन का सिलेंडर अपने कंधे पर रखा और उसे एसएनसीयू की ओर ले जा रहा था कि इसी बीच अस्पताल में मौजूद मरीजों के परिजनों ने इसकी तस्वीर खींच ली और इसे शोसल मीडिया में वॉयरल कर दिया।

हालांकि इस लापरवाही के वॉयरल होने के बाद भी इस पर किसी प्रकार संज्ञान अस्पताल प्रबंधन द्वारा नहीं लिया गया। वजह यह भी है कि यह कोई नई बात नहीं है, यहां आने वाले मरीज व उनके परिजनों को इस प्रकार से अव्यवस्थाओं का शिकार हमेशा होना पड़ता है।

बदलाव के बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्था
बता दें कि बीच में जीएमएच अस्पताल जमकर सुर्खियों में था, यहां हुई लापरवाही की गूंज विधानसभा तक में उठी, कार्यवाही के नाम पर डीन को बदल दिया गया, अधीक्षक बदल दिए गए लेकिन अव्यवस्थाएं नहीं सुधरी और न ही अव्यवस्था पैदा करने वालो पर किसी प्रकार की गाज गिरी। अब हालात फिर से वहीं है, मरीज दवा और यहां मिलने वाली सुविधाओं के लिए परेशान हैं और खुद अपने मरीज का बोझ उठा रहे हैं।

गायनी में अब भी मनमानी
बतादें कि जिले के शासकीय अस्पतालों में सबसे अधिक परेशानी गायनी वार्ड के मरीजों को हो रही है, चाहे जीएमएच हो या फिर जिला अस्पताल यहां के पदस्थ्य चिकित्सक अस्पताल में कम बल्कि अपने प्राइवेट क्लीनिकों में ज्यादा दिख रहे हैं। इतना नहीं नहीं वह मरीजों को अपने प्राइवेट संस्थानों में आने की बात भी कहते हैं और नहीं आने पर उनको अस्पताल में प्रताडि़त किया जाता है। ऐसा मामला सामने आ भी चुका है। जीएमएच ही नहीं यहीं हाल जिला अस्पताल का भी हैं। यहां पदस्थ्य महिला चिकित्सकों से मरीज परेशान हैं, शिकायतें भी हुई लेकिन इन पर किसी प्रकार की

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