sidhi: दसवीं-बारहवीं से महंगी पहली-दूसरी की किताबें
चार से पांच हजार रुपये में पड़ रहा किताबों का सेट, यूनिफ ार्म, कॉपी सहित अन्य स्टेशनरी मिलाकर खर्चा 10 हजार के पार
-अभिभावकों की जेब हो रही ढीली, निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम नहीं लगा पा रहा प्रशासन
सीधी। नये शैक्षणिक सत्र की शुरूआत के साथ ही अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है। कॉपी-किताब का सेट इतना महंगा है कि उनको खरीदने में अभिभावकों के पसीने निकल जा रहे हैं। किताब कॉपियों में सबसे अधिक महंगाई प्राथमिक शिक्षा की है। आलम यह है कि कक्षा दसवीं-बारहवीं से कई गुना महंगी कक्षा पहली-और दूसरी की किताबों का सेट है। सीधी शहर में संचालित बड़ी निजी स्कूलों की पहली की किताब का सेट 3 से 5 हजार रुपये में मिल रही हैं। जबकि कक्षा 10वीं किताबों का सेट 850-950 रुपये तथा 12वीं किताबों का सेट 1500-1800 रुपये में मिल रहा है। निजी स्कूलों द्वारा प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों की किताबों के लिए लिए अच्छी खासी लूट मचाई जा रही है। निजी स्कूल संचालकों द्वारा किताबों की संख्या इतनी ज्यादा लगाई जा रही है कि छोटे बच्चों के बस्तों का बोझ बढऩे के साथ ही अभिभावकों के जेब पर भी बोझ बढ़ रहा है। इधर प्रशासन और शिक्षा विभाग इस मामले में चुप्पी साधे हुए है।
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इन दिनों शहर के कुछ चुनिंदा पुस्तक विक्रेताओं के यहां किताबों की खरीददारी के लिए अभिभावकों की लाइन लग रही है। स्कूलों द्वारा तय निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों से पांच गुना तक महंगी हैं। एनसीईआरटी की 256 पन्नों की एक किताब 65 रुपये की है, जबकि निजी प्रकाशक की 167 पन्नों की किताब 305 रुपये में मिल रही है। अभिभावकों का भी यह सवाल है कि ऐसी कौन सी किताबें स्कूल पढ़ा रहा है जो 500 से 600 रुपये में मिल रही है। इतनी महंगी तो 10वीं-12वीं की किताबें नहीं मिलती।
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सीबीएसई की स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें अनिवार्य-
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा 6वीं से 12वीं तक के लिए किताबें निर्धारित कर दी गई हैं। इसके बावजूद शहर सहित जिले भर के निजी स्कूल संचालक एनसीईआरटी के निर्धारित पाठ्यक्रम के अलावा निजी प्रकाशकों की कुछ किताबें अनिवार्य किये हुए हैं। एनसीईआरटी की किताबों की कीमत तो सीमित है, लेकिन निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों की अपेक्षा चार से पांच गुना महंगी मिल रही हैं।
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बच्चों के काम की नहीं किताबें, फिर भी अनिवार्य-
शहर के कुछ बड़ी स्कूल संचालकों द्वारा एलकेजी यूकेजी के लिए निजी प्रकाशकों के किताबों का जो सेट निर्धारित किया गया है, वह अभिभावकों की कमर तोड़ रहा है। किताब खरीदने आए यूकेजी के अभिभावक ने सत्यम सिंह ने बताया कि किताबों का सेट 3800 रुपये में पड़ रहा है। यूकेजी में पढ़ाई तो एबीसीडी व सामान्य तरह की होगी, जबकि किताबें इंगलिश के पोयम से भरी है, पोयम व स्टोरी बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे, फिर भी पाठ्यक्रम में उनकी अनिवार्यता की गई है।
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किस कक्षा की किताबों का सेट कितने का-
एलकेजी – 1000-3500
यूकेजी – 1500-3800
कक्षा-1 – 1500-4500
कक्षा-2 – 1800-4500
कक्षा-3 – 2000-4800
कक्षा-4 – 2000-4800
कक्षा-5 – 2200-5000
कक्षा-10 – 850-950
कक्षा-12 – 1500-1800
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ऐसे समझें अभिभावकों की मार-
*स्कूल फीस-20,000 से 40,000
*किताबों का सेट- 2000 से 5000
*यूनिफार्म का खर्च- 1500 से 3500
*स्टेशनरी खर्च- 1500 से 2500
*टूयूशन शुल्क- 2000 से 4000
*वाहन खर्च- 800 से 2000
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अभिभावकों का दर्द-
……….प्राथमिक शिक्षा की किताबों का सेट इतना महंगा है कि कमर टूट रही है। ऐसे सेट बनाए जाते हैं कि कुछ किताबों तो बच्चों के काम नहीं आती। एलकेजी में पोयम व स्टोरी आदि की किताबें बच्चों के काम की नहीं हैं।
सुनील सिंह, अभिभावक
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……..बड़ी निजी स्कूलों के संचालक निजी प्रकाशकों की किताब संचालित कर रहे हैं, किताबों का सेट 3 से 4 हजार रुपये का आ रहा है। नर्सरी व एलकेजी, यूकेजी में इतनी महंगी किताबों की क्या आवश्यकता है।
प्रतिभा द्विवेदी, अभिभावक
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………बड़ी निजी स्कूलों में सामान्य परिवार को पढ़ाना काफी मुश्किल होता जा रहा है। निजी स्कूल संचालक हर वर्ष किताबें बदल रहे हैं। मेरे बड़ा बेटा दूसरी में हैं, छोटा पहली में, लेकिन बड़े बेटे की किताबें छोटे बेटे के काम नहीं आ रहीं।
वरूण गुप्ता, अभिभावक
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………स्कूल फीस, यूनीफार्म, ट्यूशन, स्टेशनी आदि मिलाकर लाख रुपये का बजट पहली कक्षा का पहुंच रहा है। इतनी महंगी पढ़ाई होती जा रही है कि कमर टूट रही है। प्रशासन को इस मनमानी पर संज्ञान लेना चाहिए।
रामगोपाल जायसवाल, अभिभावक
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कलेक्टर से चर्चा उपरांत कसेंगे शिकंजा-
………..ये बात सही है कि निजी स्कूलों की किताबों का सेट काफी महंगा पड़ रहा है। दुकानों का भी निर्धारण उचित नहीं है। इस संबंध में कलेक्टर से चर्चा की जाएगी और आवश्यक मापदंड निर्धारित करने की कार्ययोजना बनाते हुए मनमानी पर शिकंजा कसा जाएगा।
डॉ.प्रेमलाल मिश्रा, जिला शिक्षा अधिकारी सीधी