Video परिवहन विभाग रीवा में प्राइवेट गुंडे करते हैं ट्रक चालकों से वसूली..?
परिवहन विभाग रीवा की व्यवस्था अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी…!
रीवा। मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार होने के बाद भी रामराज्य की परिभाषा आम जनता समझ नहीं पा रही है। सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले चंद्र विभागों में शुमार रीवा जिले का परिवहन विभाग अपनी कार्यशैली की वजह से जन-जन के बीच चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। यहां पर विभाग के वाहन में प्रधान आरक्षक की मौजूदगी रहते हुए प्राइवेट गुंडों के सहारे ट्रक चालकों से अवैध वसूली का खेल पूरी शिद्दत के साथ किया जाता है। शहर के रतहरा बाईपास क्षेत्र में परिवहन विभाग के नाम पर गुंडों के तरीके से होने वाली वसूली तरह-तरह के सवालों को जन्म दे रही है? मजेदार बात यह है कि लगातार न्यूज चैनलों में डंके की चोट पर होने वाली अवैध वसूली के वीडियो वायरल हो रहे हैं उसके बाद भी रीवा जिला प्रशासन पूरी तरह से बेलगाम हो चुके परिवहन विभाग को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है? बाईपास में ट्रक चालकों से अवैध वसूली करने के लिए हर तरह के तरीकों को अपनाया जाता है।
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परिवहन विभाग की गाड़ी में पीछे की सीट पर बैठने वाले लोगों को किराए पर लेकर अवैध वसूली का पूरा खेल किया जा रहा है। यदि समय रहते जिला प्रशासन ने ट्रक चालकों से होने वाले अवैध वसूली के कारोबार पर जिम्मेदारी के साथ संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया तो एक दिन बड़ा विवाद सामने आ जाएगा? ऐसा कुछ होने पर शासन स्तर तक जिला प्रशासन की बदनामी होना तय है?
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समय-समय पर उजागर होता है अवैध वसूली का खेल
जिला परिवहन विभाग शासन की तिजोरी भरने के साथ-साथ अपने लिए आर्थिक व्यवस्था करने का काम इमानदारी से कर रहा है। शहर के दोनों बाईपास पर अक्सर परिवहन विभाग प्राइवेट गुंडों के सहारे बस ट्रक चालकों से अवैध वसूली का खेल करता हुआ नजर आता है। समय-समय पर होने वाली अवैध वसूली मीडिया में उजागर जरूर होती है लेकिन उस पर जिम्मेदारी के साथ कार्यवाही ना होने के कारण ऐसा करने वाले लोगों के हौसले हमेशा बुलंद बने रहते हैं। क्या शासन की तिजोरी भरने के लिए प्राइवेट गुंडों का सहारा लेना जरूरी होता है? यदि प्राइवेट गुंडों के सहारे ही ट्रक चालकों से वसूली करवानी है तो फिर विभाग में दूसरे लोगों की क्या जरूरत है?
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रीवा आरटीओ से संपर्क करना, सबके लिए बड़ी चुनौती
शहर के रतहरा बाईपास पर अक्सर परिवहन विभाग की एक गाड़ी में सवार प्राइवेट गुंडों की टीम बस और ट्रक चालकों से अवैध वसूली का काम करती रहती है। जब कभी कोई मीडिया का दल इस क्षेत्र में नजर आता है तो वसूली करने वालों का गिरोह इधर उधर नजर चुराने में जुट जाता है। बीते सप्ताह दो बार खुलेआम होने वाली अवैध वसूली का मामला जब विभिन्न चैनल की सुर्खियां बना तो मीडिया कर्मियों ने आरटीओ रीवा मनीष त्रिपाठी से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क करने का भरसक प्रयास किया लेकिन साहब की तरफ से कोई रिप्लाई नहीं मिला। साधारण कॉल करने पर साहब का नंबर हमेशा बंद बताता है और जब व्हाट्सएप कॉल की जाती है तो रिसीव नहीं किया जाता। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि एक तरफ आरटीओ रीवा फोन नहीं उठाते हैं तो वहीं दूसरी ओर बाईपास में गुंडों का गिरोह अवैध वसूली करने से बाज नहीं आता है। ऐसे में अब परेशान लोगों को केवल रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल से ही आखिरी उम्मीद है कि शायद वे गौर फरमाएं और परिवहन विभाग की आड़ में चलने वाले अवैध वसूली के कारोबार पर विराम लग सके?