Screenshot_20220709-112723_Chrom

सोशल मीडिया पर हर व्यक्ति बिता रहा 2.22 घंटे:एक साल में नए 37 करोड़ लोग जुडे; हर सेकंड में 12 यूजर्स हो रहे कनेक्ट

आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। जब जीवित रहने के लिए कुछ भी चीजों की जरूरत होती है तो मानव किसी भी तरह से उसे प्राप्त करने के लिए जुट जाता है। ठीक इसी तरह सोशल मीडिया की जरूरत महसूस की गई और लोगों को आपस में जोड़ने के लिए फेसबुक, वाट्सएप, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और ट्विटर का निर्माण किया गया, ताकि एक दूसरे के साथ अपने अनुभव को साझा कर सकें, एक दूसरे की भावनाओं को समझ सके लेकिन ठीक इसके विपरीत यह समाज में विसंगति पैदा कर रही है।

ये बातें मुख्य अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने ‘मीडिया साक्षरता की आवश्यकता क्यों’? विषय पर देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययन शाला विभाग में आयोजित स्वराज्य अमृत महोत्सव व्याख्यान के तहत कही। प्रो. द्विवेदी ने आगे कहा कि मीडिया साक्षरता अपने आप में बहुत ही गंभीर विषय है। बिना मीडिया के किसी का जीवन नहीं चल सकता।

मोबाइल अलादीन के चिराग से कम नहीं

प्रो. ने कहा कि बहुत से लोगों के पास टेलीविजन और रेडियो तो नहीं है लेकिन स्मार्टफोन हर किसी के पास है और यह मोबाइल किसी अलाउदीन के चिराग से कम नहीं है। इसी में सारा मीडिया एकत्रित है लेकिन इस बात का ध्यान देना होगा कि यह मोबाइल वरदान के साथ-साथ अभिशाप भी बन चुका है। सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना तो एकत्रित हो जाती हैं लेकिन चुनाव करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी सूचना सही है या गलत।

विज्ञापन और खबर में अंतर नहीं समझते

स्टेट फॉर हिस्ट्री एजुकेशन ग्रुप के रिपोर्ट के मुताबिक 80 प्रतिशत छात्र विज्ञापन और खबर में अंतर नहीं समझ पाते। यह बात लोगों को समझना होगा कि सूचना तो हर कोई दे सकता है लेकिन न्यूज़ पत्रकार ही देता है। जब हम सूचना की बात करते हैं तो उसे इंफॉर्मेशन कहेंगे पत्रकार नहीं, ठीक उसी तरह जैसे पुलिस का मुखबिर होता है। पत्रकार हमेशा खबर को प्रोसेस और तथ्यों के साथ परोसता है।

एक साल में 37.06 करोड़ लोग सोशल मीडिया से जुड़े

पूरे दुनिया में एक साल में 37.06 करोड़ लोग सोशल मीडिया से जुड़े हैं, यानी 60% ज्यादा इजाफा हुआ है। डाटा रिपोर्ट के अनुसार औसतन हर दिन 10 लाख यूजर यानी हर सेकंड में 12 यूजर जुड़ रहे हैं। एक व्यक्ति सोशल मीडिया में 2 घंटे 22 मिनट का समय हर दिन देता है। यदि हर यूजर का समय जोड़ा जाए तो 1 दिन में 10 लाख साल के समय के बराबर एक दिन में सोशल मीडिया पर लोग समय दे रहे हैं।

2030 तक 500 मिलियन से ज्यादा भारतीय भाषा में इंटरनेट का यूज करेंगे

डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशनल का समय है लेकिन अच्छा कंटेंट के साथ-साथ बेहतर संवाद भी होना बेहद जरूरी है। इंडिया डिजिटल फ्यूचर के रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारत में 500 मिलियन से ज्यादा भारतीय भाषा में इंटरनेट का यूज करने वाले होंगे और हिंदी कंटेंट के लिए भुगतान भी करने के लिए तैयार रहेंगे इसलिए मीडिया के स्टूडेंट्स के नाते हर खबर को शुद्धता और तथ्यों के साथ भारतीय भाषा में परोसे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *