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WHITE TIGER का जनक है सफेद बाघ MOHAN

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दुनियॉ मे व्हाइट टाइगर के मध्यप्रदेश का रीवा जिला मशहूर है। यहां जन्मे सफेद बॉघ के वंशज पूरी दुनियॉ मे चर्चित है, इसीलिए सफेद बाघ का जनक गोविन्दगढ रीवा को माना जाता है। रियासत के तत्कालीन महाराज नें बाघ ब्रडिंग सेन्टर बनाकर पूरी दुनिया में सफेद बाघों को भेजा। महारानी विक्टोरिया से लेकर पं जवाहरलाल नेहरू तक को बाघ भेंट किये गये। बाघों के खरीदी बिक्री की शुरूआत भी रीवा से हुई थी। इन सब बाघों का पितामह व्हाइट टाइगर मोहन को माना जाता है। दुनिया मे पाये जाने वाले बॉघों से अलग.. व्हाइट टाइगर सफेद बॉघ 9 फिट लम्बा, सफेद रंग, गुलाबी नाक, लम्बा जबडा, नुकीले दॉत। जी हॉ यही है सफेद बॉघो के जनक मोहन की पहचान। मोहन की कहानी रीवा से शुरु होती है जो पूरी दुनियॉ मे मशहूर है।




1951 में सीधी के बगरी जंगल से महाराजा मार्तण्ड सिंह ने शिकार के दौरान 6 माह के शावक को पकडा और इसका नाम रखा मोहन। इस बॉघ को पकडकर रीवा रियासत के गोविन्दगढ किला लाया गया। मोहन को यहॉ रखने के लिये आलिशान बॉघ महल बनाया गया था। नन्हे मोहन को महल मे रखने के पुख्ता इंतजाम किये गये थे। गोविन्दगढ बॉघ महल मे नन्हा मोहन अकेलापन होने के चलते उदास रहता था, काफी-सोच विचार के बाद महाराज ने बाघिन भी महल मे रखने का निर्णय लिया। मोहन के साथ बाघिन बेगम को महल में छोड दिया गया। इसके बाद मोहन ने जंगल की तरफ मोड कर नही देखा।



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मोहन की चर्चा आग की तरह देश-विदेशो मे फैल गयी और एक-एक करके सफेद बॉघों की मांग पूरी दुनियॉ मे होने लगी। ऐसा बताया जाता है कि बघेल रियासत मे बॉघो की सवारी निकलती थी, घोडों की जगह बॉघ महाराज की बॉघ्घी खीचते थे। कैमोर की पहाडियो से लगा हुआ विशाल सरोवर और भव्य राघव महल रीवा रियासत के राजा-महाराजाओ के वैभव की कहानी कहता है। लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते यह खंडहर मे तबदील होता जा रहा है। वक्त ने भले ही मोहन को खामोस कर दिया हो बावजूद इसके व्हाइट टाइगर मोहन के वंशजो की दहाड दुनियॉ भर मे गूंजती है। मोहन में थी कई खूबियां: मोहन को प्रतिदिन 10 किलो बकरे का गोस्त दिया जाता था।




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इसके अलावा दूध, अंडे मोहन का प्रिय आहार था। लेकिन आश्चर्य यह था कि मोहन रविवार के दिन उपवास रखता था और फुटवाल उसका पसंदीदा खेल था। मोहन की अठखेलियॉ देखने के लिये दूर-दूर से सैलानी आने लगे। सफेद बाघों को गाडियों के साथ ही हवाई जहाज से देश विदेश ले जाया गया। जीवित बाघों के साथ ही, मरने वाले सफेद बॉघो को भी सजा का देश विदेश भेजा गया। ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को भेंट भी रियासत ने किया गया था। यह स्टेचू किंग्सटन प्राकृतिक संग्रहालय में सुरक्षित रखा हुआ है।

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