रौद्र रूप में 200 वर्ष सें विराजमान है क्रोध से लाल हनुमान:
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चिरहुला नाथ के हनुमानजी जग प्रसिद्ध है रीवा में एक भी हनुमान है जिस कम लोग जानते है लेकिन इनकी महिमा निराधी है। शहर के हदय स्थल में हनुमान जी रौद्र रूप में विराजमान है। यह हर किसी की मनोकामना पूरी होती है और बिगडे काम पूरे हो जाते है। दुनियाभर में हनुमानजी के रौद्र रूप में ऐसी प्रतिमा और कहीं देखने को नही मिलेगी।
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Rewa Times में हम बात कर रहे है गोपाल दास मंदिर की जहां तीनों लोकों में से एक त्रेता युग, दूसरे द्वापर युग और कलयुग के हनुमानजी विराजे है। एक नजर देखने में पूरे रौद्र रूप में लगभग 6 फिट उंची अष्टधातु की इस प्रतिमा में भगवान हनुमान के चेहरे का रौद्र स्पष्ट नजर आता है। एक हांथ में शक्ति का प्रतीक गदा व दूसरे हांथ में विजय का प्रतीक ध्वज हांथ में उठाये है और धरती पर दोनों पांव जमाए खडे हुये है, हनुमान जी कि ये प्रतिमा उत्तरमुखी है।
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बताया जाता है कि हनुमान जी क्रोध में है जब माता सीता की खोज में निकले थे उस वक्त ही हनुमान जी का चेहरा क्रोध से लाल हो गया जो रौद्र रूप कहलाता है।
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गोपाल दास मंदिर की स्थापना 200 वर्ष रियासत के महाराज विश्वनाथ सिंह ने कराई थी, वर्तमान में यह मंदिर बांधेश्वरी क्लीनिक के पीछे स्थित है। इसे बडा मंदिर कहा जाता है। ऐसा बताया जाता है कि रीवा राज्य में अकाल पडा और उस वक्त महाराज विश्वनाथ सिंह प्रयाग गये हुये थे।
जहां उन्हे संत प्रियादास जी मिले, उनसे महाराज ने यहां कि स्थिति बताई और संत को रीवा आने का निमंत्रण दिया। इस मंदिर के पुजारी प्रभाकर मिश्र बताते है कि महाराज के आग्रह पर संत रीवा पधारे और दक्षिण भारत से रौद्र रूप में हनुमान जी की विशाल प्रतिमा मगवां कर प्राण-प्रतिष्ठा कराई। दिव्य प्रतिमा के स्थापित होते ही रीवा राज्य को अकाल से मुक्ति मिल गई और लोग खुशहाल हो गये।
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महाराज विश्वनाथ सिंह नें मंदिर में हनुमान जी की सेवा के लिए पुजारियों कि नियुक्ति की और कई एकड जमीन मंदिर के नाम कराई लेकिन अब मंदिर की अधिकांश भूमि में चारो तरफ अतिक्रमण हो चुका है। जिससे मंदिर भक्तों की नजर से दूर है और भक्त हनुमान कि रौद्र रूप के दर्शन नही मिल रहे है।
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