चाइनीज ड्रैगन की नज़र भारतीय भूमि पर
आपको बता दे की अरुणाचल प्रदेश के तवंग क्षेत्र पर चाइना की बुरी नज़र है वो इस क्षेत्र को अपना घोषित करता है, जिसको लेकर समय समय पर झड़प होती रहती है, जो कल बवाल का रूप ले लिया एवं हाथपायी पर आ गयी परिणामत: चाइना के 20से अधिक जवान घायल हो गए तथा कई भारतीय सैनिक भी घायल हो गए है।
दो साल के बाद फिर से किया हमला
जून 2020 के बाद से चीन ने फिर भारत की सीमा में आने की हिमाकत की। इस बार उसने पूर्वी सेक्टर स्थित अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दाखिल होने की कोशिशें। भारतीय सैनिकों ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है। एक भी सैनिक भारत की धरती पर दाखिल नहीं हो सका है। तवांग, चीन की वह दुखती रग है जो उसे हमेशा तकलीफ देती हैं। 9 दिसंबर को चीनी सैनिक, भारतीय सेना से उलझ गए थे। तवांग के पास यांगत्से में यह घटना हुई है। यांगत्से, 17 हजार फीट की ऊंचाई पर तवांग का वह हिस्सा जिस पर सन् 1962 की जंग के बाद से ही चीन की बुरी नजर है। वह युद्ध के समय से ही तवांग के यांगत्से पर कब्जे के सपने देख रहा है। सेना के सूत्रों की मानें तो यांगत्से को पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) की हमेशा से निशाना बनाने की फिराक में रहती थी। आखिर तवांग और यांगत्से में ऐसा क्या है जो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस पर कब्जे का सपना पाले हुए हैं।
युद्ध की धमकी
साल 2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद जिनपिंग ने कहा था कि पीएलए को भारत के साथ युद्ध के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने जवानों से सारा दिमाग और ऊर्जा युद्ध की तैयारी में निवेश करने के लिए कहा था। हाल ही में हुई राष्ट्रीय कांग्रेस के दौरान भी जिनपिंग ने युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है। जीरो कोविड नीति के सख्त नियमों के तहत जनता पहले ही जिनपिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुकी है। जिनपिंग जो अपनी सत्ता की हनक बरकरार रखना चाहते हैं, वह देश की मुश्किलों से ध्यान हटाने की कोशिशों में लगे हैं। ऐसे में एलएसी पर भारत को उलझाने के अलावा कोई और बेहतर विकल्प उन्हें नहीं मिल सकता है।