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रीवा जिले की मऊगंज पुलिस ने वारदात के 408 दिन बाद ब्लाइंड मर्डर का खुलासा किया है। 13 माह पहले एक युवक लापता हुआ था, जिसका शव कुछ दिनों बाद जंगल से बरामद हुआ था। युवक की हत्या उसी के दोस्त ने अपने जीजा के साथ मिलकर की थी।




पुलिस के मुताबिक दुधमनिया जंगल स्थित सुनसान जगह पर बने घर में 3 अक्टूबर 2021 की रात छेड़खानी करने पर युवक की डंडा मारकर हत्या की गई थी। दूसरे दिन मृतक के पिता ने मऊगंज में गुमशुदगी दर्ज कराई। 4 महीने बाद फरवरी 2022 में जंगल से नरकंकाल मिला था। आधार कार्ड देखने पर चरवाहों ने मृतक के पिता को जानकारी दी थी।




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पिता ने मौके पर पड़े पेंट-शर्ट, वॉलेट और आधार कार्ड देख पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने हत्या का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की और 9 महीने बाद 14 नवंबर 2022 को आरोपियों तक पहुंच गई। गिरफ्त में आए आरोपी ने ब्लाइंड मर्डर की पूरी कहानी पुलिस के सामने उगल दी। इस मामले का एक आरोपी फिलहाल फरार है, जो शातिर अपराधी है। वह पुलिस पार्टी पर भी हमला कर चुका है। फिलहाल साइबर सेल की मदद से आरोपी को खोजा जा रहा है।




पहले बताते हैं उस घर की कहानी, जहां हत्या हुई

दुधमनिया गांव के बाहर जंगल से लगे सुनसान इलाके में अब्दुल मजीद का घर है। उसके बेटे यूनुस अंसारी (31 वर्ष) की दोस्ती ग्राम छुहिया निवासी विकास गिरी (21 वर्ष) से थी। दोनों साथ में वन विभाग में प्लांटेशन आदि की ठेकेदारी करते थे। ऐसे में यूनुस के घर अक्सर विकास का आना-जाना लगा रहता था। यूनुस की तीन बहनों में से 19 वर्षीय टीना (परिवर्तित नाम) को विकास मन ही मन चाहने लगा। गांव वालों को भी दोनों के अफेयर की जानकारी थी।




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ASP की जुबानी- नरकंकाल के खुलासे की कहानी

मऊगंज एएसपी विवेक कुमार लाल ने बताया- फरियादी इन्द्रलाल गिरी (51 वर्ष) निवासी छुहिया गांव 4 अक्टूबर 2021 को शिकायत लेकर थाने पहुंचा। बताया कि उसका बेटा विकास गिरी (21 वर्ष) बीती रात से लापता है। सूचना के बाद मऊगंज पुलिस ने 5 अक्टूबर 2021 को गुमशुदगी दर्ज कर मामला जांच में लिया। मऊगंज पुलिस ने लापता युवक के हर एंगल की जांच की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।

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चार माह बाद 5 फरवरी 2022 को लापता युवक के पिता इन्द्रलाल गिरी ने मोबाइल से पुलिस को सूचना दी। उसने कहा कि दुधमनिया जंगल में एक नरकंकाल पड़ा है। उसके पास पेंट-शर्ट, वॉलेट और आधार कार्ड सहित अन्य कागजात पड़े हैं, जो मेरे लड़के विकास गिरी के है। मौके पर फिंगर प्रिंट, डॉग स्क्वायड सहित सीन ऑफ क्राइम मोबाइल यूनिट के प्रभारी डॉ. आरपी शुक्ला को भेजा गया।





घटनास्थल की जांच में बिखरी पड़ी 80 हड्डियां बरामद की गईं। प्रथम दृष्टता पुलिस ने भी विकास गिरी का नरकंकाल मानते हुए जांच शुरू की। परिजनों ने बताया कि ​विकास गिरी ठेका लेकर पौधे लगाने का कार्य करता था। हत्या को लेकर परिजनों ने संदेह जताते हुए पुलिस को कुछ नाम बताए, लेकिन सही नाम नहीं मिले। पुलिस ने गांव में मुखबिर बढ़ाए। साथ ही मृतक के नजदीकी दोस्तों से गोपनीय जानकारी जुटाई। तब कुछ लोगों ने पु​रानी घटनाओं का जिक्र किया। साथ ही घूम फिरकर हत्या का आरोप यूनुस अंसारी के घरवालों पर जा रहा था।





क्योंकि आरोपियों का घर सुनसान जगह पर बना है। साथ ही दुधमनिया जंगल बगल से लगा है। लगातार गांव वाले गोपनीय जानकारी थाने को देते रहे। सूचनाकर्ताओं ने दावा किया था कि यूनुस अंसारी गांववालों को जंगल आने से रोक रहा है। ऐसे में पुलिस का शक और गहरा गया। पुलिस ने आरोपी यूनुस को हिरासत में लिया। साथ ही 10 सवाल तैयार कर जवाब पूछे। जिससे आरोपी बातों ही बातों में फंस गया। पुलिस की सख्ती देख यूनुस ने अपने जीजा के साथ मिलकर हत्या का जुर्म स्वीकार किया।




आरोपी बोला- जीजा के साथ मिलकर की हत्या

पुलिस गिरफ्त में आए यूनुस अंसारी ने सालभर पहले अपने जीजा सिरताज मोहम्मद (25 वर्ष) निवासी सीतापुर थाना लौर के साथ मिलकर दोस्त विकास गिरी का मर्डर करना स्वीकार किया। बयान के बाद अपराध क्रमांक 710/22 आईपीसी धारा 302, 201, 34 का प्रकरण दर्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी से पूरे हत्याकांड की कहानी पूछी। तब यूनुस ने 3 अक्टूबर 2021 का पूरा घटनाक्रम बताया।





आरोपी ने बताया कि शाम 6 बजे विकास गिरी मेरे घर देशी अंडा लेने आया, कुछ देर बाद अंडा लेकर अपने घर चला गया। इसी बीच हम और जीजा सिरताज अंसारी जंगल घूमने चले गए। घर में बाकी लोग थे। रात 8 बजे एक बार फिर विकास गिरी मेरे घर आया। वह 19 वर्षीय बड़ी बहन यानी सिरताज अंसारी की पत्नी से गलत हरकत कर रहा था। घर आए तो उसे रंगेहाथ पकड़ लिया। बहनों से जानकारी ली, तो घरवालों ने बताया कि विकास गिरी छेड़ रहा था। तभी मृतक हम लोगों को देख भागने लगा।




इसके बाद मैंने और जीजा ने उसका पीछा किया। जीजा ने पीछे से एक डंडा मारा तो वह मर गया। तब हम दोनों ने मिलकर विकास गिरी के हाथ व पैर रस्सी से बांध दिए। लाश मृतक के परिजनों को न मिले। ऐसे में दो किलोमीटर अंदर जंगल में जाकर छुपा दिए। धीरे-धीरे लाश डिकम्पोज हो गई। कई माह बाद जंगली जानवर लाश को खा गए। जिससे पूरी बॉडी हड्डी के रूप में बिखर गई। FSL टीम ने जांच के दौरान 80 हड्डियां काउंट की थी।

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