मप्र किशोर न्याय नियम-2022

बालगृह में अब चिकन और अंडा परोसा जाएगा, जो नहीं खाएंगे उन्हें गुड़-मूंगफली और 100 ग्राम पनीर




मप्र में डेढ़ सौ से ज्यादा बालगृहों, आश्रय और संप्रेषण गृह में रहने वाले किशोरों को अब सप्ताह में एक बार चिकन और चार दिन अंडा परोसा जाएगा। जो शाकाहारी हैं, उन्हें गुड़-मूंगफली और 100 ग्राम पनीर दिया जाएगा।




मप्र में डेढ़ सौ से ज्यादा बालगृहों, आश्रय और संप्रेषण गृह में रहने वाले किशोरों को अब सप्ताह में एक बार चिकन और चार दिन अंडा परोसा जाएगा। जो शाकाहारी हैं, उन्हें गुड़-मूंगफली और 100 ग्राम पनीर दिया जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग ने किशोरों के लिए पोषण आहार के मानक तय कर दिए हैं। प्रदेश में इस समय 150 से अधिक संप्रेषण गृह, बालगृह, विशेष गृह, शिशुगृह के साथ 30 सरकारी और 97 अशासकीय संस्थाएं हैं, जिनमें बाल अपराधियों, बेसहारा, गुमशुदा, भीख मांगने वाले, निराश्रित, अनाथ आदि को रखा जाता है।




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विभाग ने इससे पहले आंगनवाड़ियों में अंडा देने का प्रस्ताव बनाया था। तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं इमरती देवी ने इसकी पेशकश की थी, लेकिन भाजपा ने इसका विरोध किया था। बाद में भाजपा की सरकार आने के बाद भी इमरती देवी ने यही बात दोहराई, लेकिन प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया। अब विभाग ने मप्र किशोर न्याय नियम की अधिसूचना में इसे शामिल किया है। सूत्रों का कहना है कि बाद में चिकन-अंडा खिलाने को विस्तार दिया जा सकता है। संभवत: यह पहली बार है कि इस तरह के मानक तय किए गए हैं। इसकी अधिसूचना 25 अगस्त को जारी हुई है।





यह होगा भोजन का मेन्यू

दाल, राजमा, चना, नाश्ते में दूध, पत्तेदार सब्जियां, दही या छाछ, सप्ताह में एक बार 115 ग्राम चिकन या चार दिन अंडे, गुड़-मूंगफली या पनीर 100 ग्राम, स्वीट डिश, चाय या कॉफी, सूजी या पोहा, खिचड़ी और ब्रेड। मसाले भी पर्याप्त होंगे। अरहर, मूंग, हरे चने या काबुली चना भी मिलेगा।




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मेथी, पालक, सरसों के साग के साथ सप्ताह में एक बार पत्तेदार सब्जियां देनी होंगी। यदि किसी संस्था के पास जमीन है तो वह इन सब्जियों को उगा भी सकेगी। मौसमी फल भी मिलेंगे। दिन में चार बार खाना मिलेगा।




लड़के-लड़कियां क्या पहनेंगे, यह भी तय

गैर सरकारी संस्थाओं में कमरों, भोजन कक्ष और रसोई के साथ अन्य जगहों की लंबाई-चौड़ाई क्या होगी। लड़के-लड़कियां कौन से कपड़े पहनेंगे और साल में उन्हें कितने जोड़ी कपड़े देने होंगे, इसके भी मापदंड तय हो गए हैं।



लड़कियां

इंडो वेस्टर्न टॉप, स्कर्ट, जींस, पेंट्स, सलवार-कुर्ता, ऊनी स्वेटर-शाल आदि। यह सब प्रवेश के समय तीन और छह महीने बाद दो मिलेंगे। स्वेटर साल में दो और शाल एक मिलेगी। जूते, बैग व स्कूल ड्रेस भी मिलेगी।




लड़के

कमीज, टी-शर्ट, शॉर्ट्स, हाफ पैंट, जींस, जैकेट्स, कुर्ता-पायजामा, जूते, बैग, स्कूल ड्रेस आदि। यह प्रवेश के समय तीन और छह महीने बाद दो मिलेंगे। जैकेट साल में दो और ऊनी टोपी एक मिलेगी। हर छह महीने में एक बार कुर्ता-पायजामा मिलेगा।




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2015 में भी चिकन-अंडे देने का नियम, लेकिन परोसा कभी नहीं

केंद्र सरकार के मॉडल रूल में चिकन और अंडे का प्रावधान है, लेकिन मप्र में चिकन, अंडे के बजाय शाकाहारी मेन्यू चलाया जा रहा है, क्योंकि प्रति बच्चे का बजट कम है। 2015 के नियम में भी यह शामिल था, लेकिन परोसा कभी नहीं गया। इस बार जो अधिसूचना जारी हुई है, उसमें भी प्रमुखता से इसे शामिल किया गया है। मप्र में 2160 रुपए प्रतिमाह एक बच्चे पर खाने का खर्च आता है।

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