रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल की बढ़ी मुश्किलें,जाने रहा पूरा मामला
स्मार्ट सिटी कंपनी टेंडर घोटाला सामने आया है। इसकी शिकायत एमआईसी सदस्य अश्विनी शुक्ला ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव को की और इसमें तथ्य पाए जाने के बाद महापौर ने इसकी जांच के लिए मुख्य सचिव वीरा राणा को तीन पन्नों का पत्र भेज दिया है।
INDORE : नगर निगम के घोटाले अभी खत्म भी नहीं हुए थे कि अब स्मार्ट सिटी कंपनी टेंडर घोटाला (smart city company tender scam) सामने आ गया है। इसकी शिकायत एमआईसी सदस्य अश्विनी शुक्ला ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव ( Mayor Pushyamitra Bhargava ) को की और इसमें तथ्य पाए जाने के बाद महापौर ने इसकी जांच के लिए मुख्य सचिव वीरा राणा को तीन पन्नों का पत्र भेज दिया है।
इस पत्र से तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल ( Municipal Commissioner Pratibha Pal ) जो बोर्ड की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर थीं, मुश्किल में आ गई हैं। महापौर ने इस मामले में तत्कालीन स्मार्ट सिटी अधिकारियों को जिम्मेदार बताते हुए और उनके द्वारा धोखाधड़ी की बात करते हुए ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त जैसी जांच एजेंसी से विस्तृत जांच कराने की मांग की है।
महापौर के पत्र में यह है
महापौर के पत्र में है कि साल 2018 में देवगुराडिया में सूखे कचरे के निपटान के लिए स्मार्ट सिटी ने टेंडर बुलाए थे, अक्टूबर 2018 में यह टेंडर सिंगल होने के बाद भी कंपनी नेप्रा रिसोर्सेस मैनेजमेंट प्रालि को दे दिया गया। इस टेंडर की शर्त में था कि रायल्टी डिफाल्ट होने और अनुबंध की शर्त का पालन नहीं होने पर अनुबंध निरस्त होगा।
स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने 30 जुलाई 2021 की तारीख में 4.42 करोड़ की रायल्टी बकाया होने के बाद भी टेंडर निरस्त नहीं किया। उलटे 27 दिसंबर 2021 को नेहरू पार्क में बोर्ड बैठक बुलाई और टेंडर को सात साल के लिए आगे बढ़ाने का फैसला ले लिया। इसके लिए अपने अधिकारों से परे जाकर स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार अधिकारियों ने यह फैसला लिया। यह अनुबंध की शर्तों के विपरीत था।
महापौर ने क़ड़े शब्द लिखे पत्र में पत्र मे महापौर ने साफ लिखा कि है अधिकारियों द्वारा सिस्टम की घोर उपेक्षा का यह उदाहरण है। इसके कारण राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाया गया और निजी संस्था के साथ मिलकर साजिश रची गई है। इसलिए इसकी स्पेशल जांच एजेंसी से जांच कराना जरुरी है। यह मप्र शासन के साथ धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।