मुंगेली जिले के 207 स्कूल जर्जर, जान जोखिम में डाल पढ़ेंगे बच्चे, ऐसी होगी नई शिक्षण सत्र की शुरुआत
बिलासपुर। स्कूल शिक्षा की नई सत्र 2024–25 शुरुवात होने को है,ऐसे में देश के भविष्य कहे जाने वाले नौनिहालों के लिए शिक्षा विभाग इस बार किस तरह से व्यवस्था स्कूलों में किया गया है
स्कूल शिक्षा विभाग नए शाला प्रवेश बच्चो के लिए शाला प्रवेश उत्सव का बड़े धूम धाम से आयोजन करती है लेकिन इसकी वास्तविक सच्चाई ठीक इसके विपरीत होती है यही वजह है कि जिले के तकरीबन 207 स्कूल जर्जर है ये हम नही विभाग के आंकड़े कह रहे है। कई ऐसे स्कूल है जो जर्जर तो है लेकिन इनके रिकार्ड में नहीं है जिले में तकरीबन आधा दर्जन स्कूल ऐसे भी है जिनके भवन ही नही है
सोचिए ऐसे में इस सत्र में आधे अधूरे तैयारियों में पढ़ाई कैसे पूरी होगी..या कहा जा सकता है कि जिन बच्चो की प्रारंभिक पढ़ाई ही कमजोर हो तो वो कैसे पढ़ेंगे और जीवन को गढ़ेंगे, यानी नींव ही कमजोर है तो मजबूत कैसे होंगे कुल मिलाकर बच्चो के साथ शिक्षा विभाव खिलवाड़ कर रहा है…
ऐसे ही एक प्राथमिक स्कूल मुंगेली जिले के सोल्हा बेल्हा पहुचे तो वहां के हालात देखकर ऐसा लगा कि कैसे इस गांव में बच्चे पढ़ाई करते होंगे वही आने वाले दिनों में नए सत्र में बच्चे प्रवेश लेंगे तो कैसे पढ़ेंगे जर्जर इस स्कूल में जान जोखिम में डालकर बच्चे पढ़ाई करेंगे
दरार दीवार,कमजोर छत जहा आए दिन छत टूट टूटकर गिरता रहता है,शौचालय को देखकर कहेंगे खण्डर है जहां शराबियों का अड्डा बना हुआ है…पीने के लिए खोदे बोर से निकलने वाला पानी पीने योग्य ही नही…और सबसे हैरान करने वाली बात की इस स्कूल में 3 कमरे है लेकिन कक्षाएं 5 कैसे लगती होगी
66 बच्चो और 5 वी कक्षा तक के बच्चो के लिए महज 3 ही शिक्षक है…सोचिए कि इन हालातों में स्कूल पहुचे बच्चो को किस तरह से शिक्षा विभाग पुराने जर्जर स्कूल में गढ़ते होंगे कैसे बच्चे पढ़ते होंगे
इन्ही तमाम विषयो को लेकर विस्तार न्यूज की टीम ने इस स्कूल मे पढ़ने वाले बच्चे और उनके पालकों से बातचीत की बातचीत के दौरान तो एक बच्चा मिला जो पढ़ाई ही छोड़ दिया न जाने कितने ऐसे बच्चे है जिसको विभाग खिलवाड़ कर रही है। उनका कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए और शासन को संज्ञान लेना चाहिए ताकि उनके बच्चे का भविष्य ठीक हो सके।