चीन की बात हो तो आंखों के सामने मानवाधिकार के उल्लंघन, जनता पर थोपी गई अनगिनत पाबंदियां और निरंकुशता की तस्वीर बन जाती है। महामारी थामने के पीछे चीन की सप्ताह ने जो पाबंदियां लगाई वहां की जनता को रास नहीं आ रही। कोरोना के काल में रह रहे के वहां प्रदर्शन की बात सामने आती रही है। जब कम्युनिस्ट सरकार ने फिर से लॉकडाउन लगाने की बात कही तो विरोध खुलकर सामने आ गया। चीन की राजधानी बीजिंग सहित अन्य शहरों में लोग सड़कों पर उतर कर सरकार का विरोध कर रहे हैं। जिस देश में राष्ट्रपति के विरुद्ध बोलना ही राष्ट्रद्रोह है आज उसी देश में उसकी इस्तीफे की मांग हो रही हैं।
क्या हैं जीरो कोविड नीति
जीरो कोविड पॉलिसी का उद्देश्य प्रत्येक कोरोना संक्रमित व्यक्ति को अलग-थलग करना है। इस नीति ने अमेरिका समेत अन्य प्रमुख देशों की तुलना में चीन के कोविड मामलों की संख्या को कम रखने में मदद की है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में जो लोग चार महीनों से घर पर ही रह रहे हैं, उनके पास उपयुक्त भोजन और चिकित्सा आपूर्ति की पहुंच नहीं है। इसलिए लोगों की बर्दाश्त करने की क्षमता अब जवाब दे रही है।सत्तारूढ़ दल ने पिछले महीने नियमों को बदलकर व्यवधान को कम करने का वादा किया था, लेकिन संक्रमण में बढ़ोतरी के बाद नियंत्रण को और बढ़ा दिया गया है।
क्या हैं जिनपिंग के सामने चुनौती?
सरकार के इशारे पर हुए चौक पर हुए नरसंहार के 4 दशक के पश्चात वहां की जनता बदलाव के लिए कमर कस रही है। पड़ोसी देश होने के नाते चीन में बदलाव भारत पर भी असर डालते हैं। ऐसे में सरकार और जनता के बीच बदलती गणित और ड्रैगन के टूटते तिलिस्म आज पड़ताल का मुद्दा है। चीन के सामने घरेलू मोर्चे पर कई चुनौतियां हैं किसने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और नेतृत्व को ना सिर्फ परेशान किया है,बल्कि उनके शासन करने के तरीके पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है। नेतृत्व ईमानदारी और उसकी क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं संभव है कि यह प्रदर्शन किसी राजनीतिक बदलाव के सूत्रधार बन जाए। कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता को प्रदर्शनकारियों से चुनौती मिल रही है ऐसे में जिनपिंग के सामने मित्रों को संभालने और अपने कथित मजबूत छवि को बनाए रखने की दौहरी चुनौती हैं।