सेक्स की खुलेआम लगती बोली,आंखों के इशारे से रुकतीं गाड़ियां,  हाइवे पर सज रही जिस्म की मंडी

नीमच-मंदसौर जिले के हाईवे के किनारे महिलाये अपना जिस्म बेचती है।

आपको बता दे की महिलाएं और उनके परिवार के लोग भी ग्राहकों की तलाश में जुट जाते।

 

 

 

 

 

आखिर ऐसा धंधा क्यू चुन रही महिलाये

प्रशासनिक कवायदों के बावजूद इनके जीवन में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। सिर्फ वादे होते रहे है बदलाव नहीं हुआ राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।

 

हाईवे किनारे खड़ी महिला, जब गाड़ी की रफ़्तार धीमी होती है तो महिला पास आकर उम्र और रेट की चर्चा करती है जब एक से नहीं पटा तो तो दूसरी आती है, फिर तीसरी ऐसा ही सिल सिला चलता रहता है………

अफीम  की खेती के लिए मशहूर नीमच जिला मुख्यालय से तीन किमी दूर हाईवे पर कुछ ऐसे ही स्थिति होती है। हाईवे किनारे रहने वाले कुछ परिवारों की महिलाएं जिस्मफरोशी में लिप्त हैं। ये उनका परंपरागत पेशा है, जिससे आज भी छुटकारा नहीं मिला है। हांलाकि प्रशासन के लोग इसमें कमी की बात करते हैं लेकिन स्थिति आज भी ज्यादा नहीं बदली है।

 

मां खोजती है बेटियों के लिए ग्राहक 

आपको बता दे इस काम में पूरा परिवार लगा होता है। मां अपनी बेटियों के लिए ग्राहक ढूंढती है। घर के पुरुष भी इसमें साथ देते हैं। परिवार के लोग इसे काम समझते हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह जाति एससी में आता है। शिकायतें मिलने पर पुलिस इनके गांवों में कार्रवाई करती है लेकिन फिर से वही काम शुरू हो जाता है।

नीमच के एडिशनल एसपी सुंदर सिंह ने कहा कि समाज के लोगों के उत्थान के लिए योजनाओं बनाई गई है। पुलिस भी शिकायत मिलने पर बकायदा कार्रवाई करती है।

इस समाज को बाहर निकालने के लिए जागरूकता की जरूरत है। इसके साथ ही रोजगार एक बड़ी समस्या है। इनके पास काम नहीं है। काम होगा तो शायद इस समाज के लिए इस दलदल से निकल पाएं।

 

 

 

बछड़ा जनजाति

केंद्र की मोदी सरकार जनजाति क्षेत्र से आने वाली द्रोपदी जी को राष्ट्रपति तो बना दिया, लेकिन इनकी स्थिति कब बदलेंगी। रोजी रोटी के लिए मजबूर ये लोग आखिर क्या करें……. और हमारा समाज इनके जिस्म को नोच के खाता है।

 

 

 

सरकार अकेले क्या कर सकती है हमारा समाज कब सुधरेगा।

 

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