रीवा जिले के प्रार्थना हॉस्पिटल में गर्भवती महिला की मौत हो गई
रीवा जिले के प्रार्थना हॉस्पिटल में गर्भवती महिला की मौत हो गई,जिससे गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. महिला के परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है
परिजनों का आरोप है कि उक्त महिला सीधी जिले की रहने वाली हैं जिसको को 29 मई 2024 को प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था जिसका इलाज डॉक्टर सोनल अग्रवाल द्वारा किया जा रहा था और डॉक्टर सोनल अग्रवाल द्वारा कहा गया कि इसका ऑपरेशन करना पड़ेगा और ऑपरेशन कर के ही महिला की डिलीवरी की जा सकती है।
जिस पर परिजनों ने हामी भर ली क्यों कि परिजनों के पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं था। डॉक्टर सोनल अग्रवाल द्वारा महिला का ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन के बाद महिला स्वस्थ्य थी मगर बीती रात्रि में लगभग 12 बजे महिला के परिजनों से कहा गया कि महिला को ब्लीडिंग बहुत अधिक हो रहा है।
जिससे ब्लड चढ़ाना पड़ेगा और ब्लड की व्यवस्था करनी पड़ेगी महिला को 8 यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया एवं उसका 1 और ऑपरेशन किया गया जिसके बाद महिला को बेंटिलटर में रखा गया और सुबह हॉस्पिटल के स्टाफ द्वारा बताया गया कि महिला की मृत्यु हो गई है।
जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में ही हंगामा शुरू कर दिया परिजनों का आरोप है कि महिला की मृत्यु दूसरे ऑपरेशन के वक़्त ही हो गई थी मगर अस्पताल प्रबंधन द्वारा छिपाया गया परिजनों का आरोप है कि महिला की मृत्यु के बाद मृत अवस्था में अस्पताल का बिल बनाने के लिए बेंटीलेटर पर रखा गया। परिजनों का यह भी आरोप है कि महिला की मृत्यु दबाइयों के ओवरडोज से हुई है परिजन का कहना है कि महिला को आई सी यू वार्ड में जबरन रखा गया था
जबकि महिला पूरी तरह से स्वस्थ थी और खुद कह रही थी कि मुझे यहाँ से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाय यहाँ हमें बहुत ज्यादा दबइया दे रहे हैं। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि शिफ्ट कर देंगे मगर शिफ्ट नहीं किया गया और नौवत ये आई कि जान तक चली गई गई।
आप को बता दें प्रार्थना अस्पताल रीवा में यह कोई पहला मामला नहीं हुआ है इसके पहले भी इस अस्पताल में ऐसे कई घटनाएं हो चुकी हैं मगर ताज्जुब की बात यह है कि इन घटनाओं के बार बार घटने के बाद भी रीवा जिला प्रशासन कोई एक्शन नहीं ले रहा है और स्वास्थ्य सुविधाएँ जस की तस बनी हुई हैं
जिसका नतीजा सामने है कि मरीज की जान की कोई कीमत नहीं है।
कोई देखने वाला नहीं है रीवा जिले में निजी अस्पतालों की मौज है,, क्यों कि उनको पता है उनका कुछ भी होने वाला नहीं है।
बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत से जिले में ऐसे सैकड़ों अस्पताल बिना मानक के संचालित हो रहे हैं जो मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई करने की बजाय सिर्फ खानापूर्ति ही किया करता है. जिसका परिणाम यह की आए प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों की जान के साथ खिलबाड़ किया जा रहा है
अगर डॉक्टर इलाज में लापरवाही करता है और मरीज की मौत हो जाती है या फिर उसको गंभीर समस्या पैदा हो जाती है, तो परिजनों को डॉक्टर से मारपीट करने की जरूरत नहीं है. ऐसे डॉक्टर को कानून के दायरे में रहकर सबक सिखाया जा सकता है. आप डॉक्टर, हॉस्पिटल, नर्सिंग होम और हेल्थ सेंटर के खिलाफ केस कर सकते हैं
क्या कहता है कानून?
अगर आप इलाज में लापरवाही बरतने के लिए डॉक्टर के खिलाफ क्रिमिनल केस करना चाहते हैं, तो भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 304-A, 337 और 338 के तहत प्रावधान किया गया है. इन धाराओं के तहत डॉक्टर को छह महीने से लेकर दो साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं.