दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है लाडली बहनें,ये रही बड़ी बजह

अप्रशिक्षित कर्मियों के हवाले लाडली बहनों की कमान ,दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है लाडली बहनें (Ladli Behna Yojana)ये रही बड़ी बजह

रीवा /मऊगंज :  प्रदेश के मुखिया की लाडली बहन योजना (Ladli Behna Yojana)में कतिपय बहनों को छोड़ दिया जाए तो अधिसंख्यक बहनों का बुरा हाल है,इस बात से नकारा नहीं जा सकता है कि कि उनका काम अंततः हो रहा है लेकिन इस बीच अप्रशिक्षित नगर पंचायत कर्मी और शिविरों में बैठें लोगों द्वारा जिस तरह से लाडली बहनों को भटकाया जा रहा है वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।के वाई सी ,समग्र आई डी जैसी अनेक अनेक औपचारिकताओं को पूर्ण जानकारी कर्मचारीयों में ना होने से महिलाओं को इधर उधर घुमाया जा रहा है।

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प्रत्येक लाडली बहनों (Ladli Behna Yojana)को इस लाभ के लिए चार दौर से गुजरना पड़ता है पहला अपने वार्ड के शिविर में जाओ,बाद में या तो डाकखाना जाओ या फिर बाद में बैंक, नगर पंचायत।ऐसे में नियमावली की दायरे में आ रही बहनें मऊगंज में गुहार नहीं लगा रही है वरन चित्कार कर रही है किसी एक औपचारिकता से वंचित बहनें एक महीने के कुछ रू के लिए जिस तरह से जद्दोजहद कर रहीं हैं वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण इसलिए है कि जब चुनाव होते हैं तब के वह तमाम नेता नदारत है जो चुनाव जीतने के बाद तकदीर और तस्वीर बदलने के बायदे किए होतें है। आज हालत यह है कि किसी भी बहना को सही कायदे कानून बताने वाले दिखाई नहीं दे रहे हैं।

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गरीब उन महिलाओं की दुर्गति है जो गरीबी में मजदूरी से गुजर बसर करतीं हैं।दो से तीन दिन तक चप्पल घिसने और अपने नौनिहालों को भूखा रखने के बाद काम हो रहा है लेकिन कुछ अभागन ऐसी हैं कि उनका काम इतने मशक्कत के बाद भी नहीं हो रहा है।जिसका प्रमाण बैंको, डाकखाना और नगर पंचायत में उमड़ी महिलाओं की भीड़ से समझा जा सकता है।

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उल्लेखनीय है कि इस दौरान उन तथाकथित जनप्रतिनिधियों का उपेक्षित रवैया बहुत दुखद है जो इसके पहले भी इसके बाद भी बड़ी बड़ी ढींगे हांक कर बोट मांगें थें और फिर इसके बाद भी मांगेगे।

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