जानिए एक महापौर को पांच साल तक क्या-क्या सुविधा और अधिकार मिलते हैं..
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नगर निगम चुनाव में जिस पद के लिए प्रत्याशियों के साथ राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंकी, वह शहर की महत्वपूर्ण और ताकतवर कुर्सी है। जन मत से इस कुर्सी तक जो भी पहुंचता है. उसे जन सुविधा और शहर विकास की बड़ी जिम्मेदारी के साथ लग्जरी सुख-सुविधाओं से भरे पांच साल भी मिलते है. जिम्मेदारी और रसूख से भरा यह समय महापौर का है।
त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था में नगरीय प्रशासन के नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद को स्थानीय स्तर की योजना के लिए महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त है। आज बात नगर निगम में महापौर को मिलने वाले अधिकार और सुविधाओं की करते है. एपिसोड पसंद आये तो लाइक शेयर और सब्सक्राइब करियेगा।
महापौर को जनसुविधा की जिम्मेदारियों के साथ बंगला, गाड़ी, तीन दर्जन कर्मचारी, 5 करोड़ की वित्तीय ताकत और अपनी परिषद: निगम चार इकाइयों में बटा होता है, एक परिषद, दूसरी मेयर इन काउंसिल, तीसरी महापौर और चौथी नगर निगम आयुक्त। आयुक्त राज्य सरकार का प्रतिनिधि होता है और जो विधि सम्मत कार्य बोर्ड या एमआईसी करे, उसके पालन के लिए वह कानून के प्रतिबद्ध होता है। महापौर का सबसे बड़ा अधिकार स्वविवेक से अपने मंत्रिमंडल के गठन का है। 10 सदस्यीय महापौर मंत्रिमंडल जिसे मेयर इन काउंसिल कहते हैं, के लिए महापौर ही चुने हुए पार्षदों को एमआईसी सदस्य मनोनीत करता है। इसलिए कह सकते हैं कि एमआईसी में महापौर को एकाधिकार होता है। निगम बोर्ड केवल नीतिगत मामले में अधिकृत है लेकिन रेगुलर वित्तीय व्यवस्था, निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग, पांच करोड़ तक के टेंडर आदि एमआईसी के वित्तीय अधिकार में होते हैं।
एक तरह से वित्तीय अधिकार प्रशासकीय अधिकार महापौर और एमआईसी अंतर्गत रहता है। द्वितीय श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति और भर्ती, यह ज्युडेक्शन भी मेयर इन काउंसिल को रहता है। इस तरह निगमायुक्त और मेयर को विभिन्न शक्तियां प्राप्त होती है। जानिए मतदाताओं ने जिस प्रत्याशी को शहर का प्रथम नागरिक बनाया है, उन्हें क्या-क्या अधिकार और सुविधाएं मिलेंगी।
वित्तीय अधिकार–
1. 5 करोड़ तक की मंजूरी- महापौर को पांच करोड़ रुपए तक के कार्य को स्वीकृति देने का अधिकार है। मसलन दो करोड़ रुपए से अधिक व पांच करोड़ रुपए तक के कामों की मंजूरी महापौर सीधे दे सकते हैं। इसके लिए सदन से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है।
2. 10 करोड़ का मद- जन सुविधा और विकास कार्यों के लिए महापौर को एक वर्ष में करीब 10 करोड़ रुपए की निधि मिलती है। स्वविवेक से महापौर इस मद में से शहर के किसी भी वार्ड में कितनी भी राशि खर्च कर सकते हैं।
3. मासिक भत्ता- महापौर को हर महीने करीब 12 हजार रुपए भत्ते के रूप में मिलते हैं। इसमें तीन बैठक भत्ते, टेलीफोन भत्ता आदि शामिल है।
प्रशासकीय अधिकार–
1. एमआईसी- महापौर अपनी परिषद का गठन कर सकता है। यह एक तरह से महापौर का मंत्रिमंडल होता है। एमआईसी में निगम से संबंधित 10 विभाग होते हैं जिनके प्रभारी की नियुक्ति महापौर का अधिकार क्षेत्र है।
2. प्रशासकीय नियंत्रण- द्वितीय श्रेणी के कर्मचारियों की पदोन्नती, निलंबन, बहाली आदि करना या अनुशंसा करने का अधिकार मेयर इन काउंसिल के पास होते हैं। अवकाश स्वीकृति और मस्टर कर्मियों की सेवा अवधि में बढ़ोतरी भी एमआईसी के अधिकार में है।
3. बजट प्रस्ताव- नगर निगम का बजट निगमायुक्त द्वारा तैयार कर महापौर को प्रस्तावित किया जाता है। महापौर और एमआईसी अपने स्तर पर प्रस्तावित बजट को लेकर निर्णय करते हैं और इसके बाद ही अंतिम मंजुरी के लिए सदन में इसे भेजा जाता है।
4. निजी कर्मचारी- निविदा, साक्षात्कार या अन्य किसी प्रक्रिया के बिना महापौर अपने लिए एक व्यक्ति को निजी कर्मचारी नियुक्त कर सकता है। उसे 15 हजार रुपए मासिक वेतन देने का अधिकार है।
एमआइसी के अधीन निगम के यह विभाग:
1. आवास एवं पर्यावरण समिति
2. जल कार्य समिति
3. विधि एवं सामान्य प्रशासन समिति
4. महिला एवं बाल विकास समिति
5. राजस्व समिति
6. आईटी सेल समिति
7. स्वास्थ्य समिति
8. प्रकाश विभाग
9. लेखा समिति
10.उद्यान विकास
11.योजना एवं कॉलोनी समिति
12. परिवहन समिति
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