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10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए जरूरी खबर, 50 हजार छात्रों की बढ़ेगी मुश्किलें

भोपाल. रिजल्ट से असंतुष्ट एमपी बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के सैकड़ों छात्र-छात्राओं को पुनर्मूल्यांकन के लिए कोर्ट जाना होगा। कोर्ट के आदेश के बाद ही उनकी कॉपियां फिर से चेक हो सकेंगी। माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) के परीक्षा नियमों में बदलाव न होने के कारण इस साल भी उन्हें पुनर्मूल्यांकन की सुविधा नहीं मिल सकेगी।




जबकि माशिमं ने 2018 में ही पुर्नमूल्यांकन की व्यवस्था लागू करने के लिए योजना बना ली थी। नयी व्यवस्था 2019-20 में लागू की जानी थी, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका। मंडल अभी छात्र-छात्राओं को पुनर्गणना की सुविधा दे रहा है। विद्यार्थियों द्वारा याचिका लगाने के बाद बोर्ड की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन हो पाता है। जिसमें समय बर्बाद होता है।




यह होनी थी व्यवस्था: पुर्नमूल्यांकन के लिए दो शिक्षक नियुक्त करने की योजना थी। इनको विद्यार्थी की मौजूदगी से संबंधित विषय (जिस कॉपी के पुर्नमूल्यांकन के लिए आवेदन किया है) की कॉपी फिर से चेक कर नंबर दिए जाने थे।




माशिमं के मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा दसवीं व बारहवीं बोर्ड परीक्षा के गलत मूल्यांकन का खामियाजा छात्रों को हर साल भुगतना पड़ता है। हर साल पुनर्गणना के लिए प्रदेश भर से 40 से 50 हजार आवेदन आते हैं। पिछले साल प्रदेशभर से 40 हजार विद्यार्थियों ने दसवीं व बारहवीं के रिजल्ट से असंतुष्ट होकर पुनर्गणना के लिए आवेदन किया था। इसमें करीब 30 हजार विद्यार्थी ऐसे थे, जो एक या दो नंबर से फेल हुए थे, यदि फिर से कॉपी चेक की जाती तो छात्रों ने नंबर बढ़ सकते थे।




नियम में बदलाव न होने के कारण छात्रों को इस साल पुर्नमूल्यांकन की सुविधा नहीं मिल सकेगी। नया नियम लागू करने की तैयारी चल रही है। संभवत: अगले साल से इसे लागू किया जा सकता है।

-बलवंत वर्मा, परीक्षा नियंत्रक, माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल

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