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Dussehra 2022 : दशहरे पर जश्न नहीं, यहां होता है मातम, आज भी रावण से खौफ खाते हैं लोग

Dussehra 2022 Date : दशहरा यानी विजयदशमी का पर्व देशभर में बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। बुराई के प्रतीक दशानन रावण के पुतले का दहन कर लोग इस त्योहार को मनाते हैं। इस बार दशहरा 5 अक्टूबर को है, जिसको लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। तमाम रामलीला कमेटियों रावण के पुतलों का निर्माण कराया है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक जगह ऐसी भी है, जहां दशहरे पर न तो रावण के पुतले का दहन किया जाता है और न ही विजयदशमी का जश्न मनाया जाता है, बल्कि लोग शोक मनाते हैं और रावण की पूजा करते हैं।




यह स्थान है नोएडा स्थित बिसरख गांव, जिसे रावण का जन्म स्थान कहा जाता है। ऐसी किंवदंती है कि अगर यहां रामलीला का मंचन या फिर रावण के पुतले का दहन किया गया तो कोई बड़ी आपदा आ सकती है।




नोएडा शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित बिसरख गांव के लोग आज भी रावण को अपने पुत्र की तरह मानते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इसी गांव में रावण के पिता विश्रवा ने शिवलिंग की स्थापना की थी। विश्रवा ऋषि का राक्षसी राजकुमारी कैकसी से विवाह के बाद यहीं पर रावण का जन्म हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि रावण ही नहीं कुंभकरण और विभीषण भी यहीं जन्मे थे। शिवपुराण में भी बिसरख गांव का जिक्र है।




60 वर्ष पहले हुई घटना के बाद से खौफजदा हैं लोग

बिसरख के बुजुर्ग बताते हैं कि यहां करीब 60 वर्ष पूर्व रावण के पुतले का दहन और रामलीला का मंचन किया गया था। उस दौरान गांव के एक व्यक्ति की असमय मृत्यु हो गई थी। लोगों को लगा कि यह मात्र एक संयोग ही होगा, लेकिन उसके बाद जब दूसरी बार रामलीला का मंचन किया गया तो फिर एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। उस दौरान गांव के कुछ हिस्से में भीषण आग भी लगी। उसके बाद से आज तक न तो यहां रामलीला का मंचन होता है और न ही रावण का पुतला जलाया जाता है। उन्होंने बताया कि गांव में दशहरे पर शस्त्र पूजा के साथ वह रावण की पूजा भी करते हैं।




खुदाई में निकलते हैं शिवलिंग

ग्रामीणों ने बताया कि ऋषि विश्रवा ने गांव में अष्टभुजी शिवलिंग स्थापित की थी, जो ऊपर से 2.5 फीट और जमीन के अंदर करीब 8 फीट लंबी है। खुदाई के दौरान गांव शिवलिंग निकलना आम बात है। अब तक यहां करीब 25 शिवलिंग निकल चुके हैं।

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