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ठेके 10% ज्यादा राशि में नीलाम करने का प्रस्ताव तैयार,प्रदेश में देसी शराब 5 से 10 तो अंग्रेजी 100 रु. तक होगी महंगी

प्रस्ताव पास हुआ तो अकेले भोपाल की नीलामी में 88 करोड़ ज्यादा मिलेंगे

BHOPAL NEWS : मप्र में 1 अप्रैल से देसी शराब 5 से 10 रु. और अंग्रेजी 50 से 100 रुपए तक महंगी हो सकती है। चुनावी साल में यह अब तक की सबसे कम बढ़ोतरी मानी जा रही है। दरअसल, आबकारी महकमे ने 10% ज्यादा राशि में इस बार ठेके नीलाम करने का प्रस्ताव बनाया है। इसमें वाणिज्यिक कर विभाग नफा- नुकसान देखते हुए 15% तक बढ़ोतरी करने के पक्ष में है, ताकि वित्तीय वर्ष 2022 2023 के लक्ष्य 13 हजार करोड़ रु. से आगामी साल में ज्यादा राजस्व मिल सके। इस बारे में अंतिम फैसला कैबिनेट करेगी।





दरअसल, राज्य सरकार के रेवेन्यू सोर्स में दो बड़े स्त्रोत पेट्रोल-डीजल पर वैट, सेस और शराब की बिक्री पर एक्साइज ड्यूटी व वैट हैं। दोनों से सरकार को अगले साल में 32 हजार करोड़ का राजस्व मिलना अनुमानित है। अकेले भोपाल में वित्तीय वर्ष 2022-23 शराब ठेकों की नीलामी से 884 करोड़ रु. कमाने का लक्ष्य था। 10% बढ़ने के बाद इस साल 88 करोड़ रु. ज्यादा मिलने की संभावना है। मप्र में अभी 1061 अंग्रेजी और 2544 देसी शराब की दुकानें हैं।




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इतनी महंगी होगी शराब, अभी 200 एमएल देसी का पौवा 57 रुपए का है, जो 60 रुपए तक बिकता है, जो 5 से 10 रुपए तक महंगा हो सकता है। अंग्रेजी में ब्लेंडर प्राइड की बोतल 1250 रु. की है, जो 1300 रु., एमडी नंबर-1 550 से 600 रु. और सिवास रीगल 2300 रु. की है, जो 200 रुपए तक महंगी हो जाएगी।

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पहले ठेकेदार ज्यादा कमाते थे, अब सरकार…..

दरअसल, सरकार लायसेंस फीस के अलावा शराब पर 10% वैट भी लगा रही है। वैट नीलामी के बाद लगता है। इससे सरकार की आय बढ़ी है। इससे पहले शराब की बिक्री में एमआरपी और एमएसपी में 30 से 40% तक का अंतर था, जिसमें अंतर के बीच ठेकेदार को फायदा होता था, लेकिन अब यह अंतर 10% कर दिया गया है, जिससे ठेकेदारों का मुनाफा कम और सरकार की आय बढ़ी है।



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देसी में एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल मिलाने पर विचार

• नई शराब नीति में तमिलनाडु पैटर्न आ सकता है। इसके तहत वहां देसी शराब की गुणवत्ता अच्छी करने एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल मिलाया जाता है। अभी मप्र में न्यूट्रल क्वॉलिटी का ही अल्कोहल देसी शराब में मिलाते है, जिसकी गुणवत्ता निम्न स्तर की रहती है। .

. 2004-05 में तत्कालीन सीएम उमा भारती के कार्यकाल में नीलामी टेंडर से हुई, जिससे बड़े ठेकेदारों का सिंडिकेट टूटा और छोटे मैदान में आए। यह व्यवस्था एक साल चली और फिर लॉटरी से दुकानें नीलाम हैं। इसके बाद हर साल परसेंटेज बढ़ाकर नीलामी की जा रही है।

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