250px-Solar_system

चार साल पुरानी हैदराबाद के स्टार्टअप कंपनी स्काईरुट एयरोस्पेस ने भारत का पहला निजी राकेट विक्रम एस तीन सेटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्ष में लेकर गया।। विक्रम एस को अगले वर्ष लांच करने की योजना हैं।।वर्ष 2020 में सरकार ने अंतरिक्ष को निजी क्षेत्रों के लिए खोलने की मंजूरी दी हैं।।इस सफलता पर देश के प्रधानमंत्री ने युवाओं की अपार प्रतिभा से फलीभूत ऐतिहासिक क्षण बताया और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि निजी कंपनियों के प्रवेश से इसरो की क्षमता में वृद्धि होगी।।

क्या हैं स्काईरुट एयरोस्पेस

आइआइटी खड़गपुर मैकेनिकल इंजीनियरिंग के पुरातन छात्र पवन कुमार चंदेला इसके संस्थापक और नागा भरत डका सह-संस्थापक हैं।संस्थापक पवन कुमार चंदेला ने बताया की उनका लक्ष्य इसरो की सहायता से अगले 20-30 वर्ष में एयरक्राफ्ट की तरफ ही सुरक्षित एयरोस्पेस में यात्रियों की सुगम यात्रा मुहैया कराने और रीयूजेबल लांच वेहिकल तैयार करने का हैं।।ज्ञात हो की स्काईरुट एयरोस्पेस स्टार्टअप को भारत के सर्वश्रेष्ठ स्टार्टअप पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।।

क्यों हैं खास

अंतरिक्ष सेवाओं की बढती मांग के युग में स्पेस सेवाओं और उपकरणों का वैश्विक बाजार 219 अरब डालर हैं तो कामर्शियल सेटेलाइट और लांच मार्केट 108 अरब डालर का हैं।। वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी केवल 7 अरब डालर यानि केवल 2 प्रतिशत का हैं,पवन चंदेला ने बताया की जहां वैश्विक मंच पर एक राकेट को तैयार करने में 4-5 वर्ष का समय और 100 मिलियन डालर की लागत लगती हैं वही भारत इसे अब पांच गुना कम की लागत में लांच करने की क्षमता में आने जा रहा हैं।।

वैश्विक मंच पर भारत की धाक

इसरो अपने कम लागत के लिए विश्व को अपने ओर आकर्षित करता हैं।।जिस संस्था ने पहले राकेट प्रक्षेपण को साइकल के सहारे किया हैं आज वैश्विक मंच पर उसकी उपलब्धियों का यशोगान किया जा रहा हैं।।104 उपग्रह एक साथ छोड़कर,मंगलयान – चंद्रयान, अत्याधुनिक प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल,देश का सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-एमके III और अब विक्रम एस यह देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में आत्मनिर्भर होने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।।।

विक्रम एस

भारत का पहला निजी राकेट जिसमें स्पेसकिड्ज (भारत,इंडोनेशिया, सिंगापुर,अमेरिका के बच्चों द्वारा तैयार 2.5 किग्रा का फन-सैट),आंध्र प्रदेश का एन-स्पेसटेक और आर्मेनिया बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब का सैटेलाइट हैं।।

साभार
Er उत्कर्ष नमो वत्स मिश्र
परास्नातक विद्यार्थी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *